यरुशलम पोस्ट के अनुसार इस्राईल की मिलिट्री इंटेलिजेंस आईडीएफ के मेजर जनरल तामीर हेमन ने इस हफ्ते कहा कि इस्राईल और अमेरिका द्वारा कि गई कार्यवाहियों की वजह से ईरान एक निम्न बिंदु पर ज़रूर है लेकिन इसने परमाणु परियोजना के लिए निवेश करना बंद नहीं किया है।
मेजर जनरल तामीर हमें ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि 2015 में हुए परमाणु समझौते को ईरान संगीन परिस्थितियों से निकलने का एकमात्र रास्ता मानता है, यही कारण है कि वो इस समझौते पर वापसी चाहता है। आई डी एफ के अनुमान के अनुसार ईरान को इस फैसले के बाद परमाणु बम बनाने में लगभग दो साल का समय लगेगा।
गौरतलब है कि इस्राईल ने ईरान के परमाणु समझौते को नाकाम करने के लिए काफी कोशिशें की हैं, बता दें कि नतंज़ यूरेनियम संवर्धन केंद्र में विस्फोट और नवंबर में ईरान के परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीज़ादे की हत्या के लिए इस्राईल को जिम्मेदार ठहराया गया था। इसके अलावा इस्राईल ने ईरान की अर्थव्यवस्था पर प्रतिबन्ध लगाने में भी अमेरिका के साथ मिल कर काम किया है।
तामीर हेमन का कहना है कि ईरान को नए अमेरिकी प्रशासन से अपने प्रति रवैया बदले जाने की उम्मीद है। हालांकि अमेरिका की तरफ से पहला रवैया ही ईरान के लिए निराशाजनक रहा है। आपको बता दें कि रविवार को राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि अमेरिका ईरान पर लगे प्रतिबंधों को तब तक नहीं हटाएगा जब तक ईरान यूरेनियम के संवर्धन को रोक नहीं देता।
गौरतलब है कि ईरान में परमाणु समझौते पर दो वर्गों की अलग अलग राय हैं। पहला उदारवादी वर्ग जिसमें राष्ट्रपति हसन रूहानी भी शामिल हैं, यह वर्ग आर्थिक संकट को कम करने के लिए अमेरिका के साथ एक नए समझौते पर पहुंचने के लिए रियायतें और प्राथमिकताएं देने को तैयार हैं।
और दूसरा रूढ़िवादी वर्ग जो ये मानता है कि ईरान को धैर्य से काम लेना है,यह वर्ग रियायतों का विरोध करते हुए कहता है कि पहले अमेरिका को पीछे हटना होगा तब ईरान अपना रवैया बदलेगा। फिलहाल इस्राईल अमेरिका और यूरोप सहित जून में आने वाले ईरानी चुनाव के फैसले के इंतेज़ार में है, जिसमे विशेषज्ञों के अनुसार ईरान के सर्वोच्च नेता अली ख़ामेनई के क़रीबी उम्मीदवार की जीत की संभावना व्यक्त की जा रही है।