ईरान अब भी इज़रायल के लिए सबसे बड़ा ख़तरा: नेतन्याहू
इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमवार को सुरक्षा बजट और सेना को मजबूत करने पर सिफारिशें देने वाली नगल समिति की बैठक में कहा कि ईरान, चाहे सीधे तौर पर हो या अपनी प्रॉक्सी ताकतों के जरिए, इज़रायल के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है।
अरब 48 के अनुसार, नेतन्याहू ने कहा कि यह समिति इज़रायल को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करने में मदद करेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि इज़रायल को हर पल संभावित खतरों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि ईरानी गठजोड़ अभी भी मजबूत है और इसके अलावा अन्य ताकतें भी इस क्षेत्र में सक्रिय हो रही हैं।
नेतन्याहू ने यह भी बताया कि इस समिति ने आक्रामक और रक्षात्मक क्षमता बढ़ाने और भविष्य के युद्धों के लिए तैयारी पर चर्चा की है। उन्होंने कहा, “इज़रायल कई क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, और हमें ऐसी सेना बनाने की जरूरत है जो किसी भी खतरे का तेज़ी और ताकत के साथ जवाब दे सके।”
समिति के अध्यक्ष, सेवानिवृत्त जनरल याकूब नगल ने कहा कि सिफारिशों में ईरान को मुख्य खतरे के रूप में पहचानने, हवाई रक्षा को मजबूत करने, सीमाओं की सुरक्षा बढ़ाने और दूरस्थ इलाकों में खतरों से निपटने की क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया गया है।
समिति की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इज़रायल को अपनी सैन्य निर्भरता को बाहरी देशों पर कम करना चाहिए और हथियारों के मामले में आत्मनिर्भरता को बढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही, सेना में मानव संसाधन को मजबूत करने और भविष्य के युद्धों के लिए तैयारी की सिफारिश की गई है।
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि यह रिपोर्ट नेतन्याहू को उनके कार्यालय में एक बैठक के दौरान दी गई। इस बैठक में रक्षामंत्री इजराइल काट्ज़, वित्त मंत्री बेजालेल स्मोट्रिच और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
नगल समिति इज़रायल की एक सरकारी समिति है, जो सैन्य बजट और सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए सिफारिशें तैयार करती है। यह विशेष रूप से सेना के बजट के संरचना और आवंटन का अध्ययन करती है ताकि विभिन्न खतरों से निपटने के लिए तैयार हुआ जा सके। इस समिति का नाम इसके अध्यक्ष, जनरल याकूब नगल के नाम पर रखा गया है।
इसकी सिफारिशें इज़रायल के नीति निर्माताओं और सुरक्षा अधिकारियों के लिए महत्वपूर्ण होती हैं और रक्षा बजट व रणनीतियों से संबंधित अहम फैसलों में भूमिका निभाती हैं। समिति का मुख्य ध्यान लंबी अवधि के खतरों और संभावित संघर्षों की तैयारी पर केंद्रित होता है।