ईरान ने बिना एक भी गोली चलाए हमें घेर लिया है: इज़रायली साइबर प्रमुख

ईरान ने बिना एक भी गोली चलाए हमें घेर लिया है: इज़रायली साइबर प्रमुख

एक कम-सामान्य स्वीकारोक्ति में, इज़रायली शासन के साइबर प्रमुख ने कहा है कि ईरान ने बिना एक भी गोली चलाए इज़रायल को साइबर क्षेत्र में घेराबंदी जैसी स्थिति में पहुँचा दिया है। यह स्वीकारोक्ति एक बार फिर इस बात से पर्दा उठाती है कि, तेल अवीव, ईरान की बढ़ती साइबर क्षमताओं से कितना भयभीत है।

फार्स न्यूज़ एजेंसी, अंतरराष्ट्रीय डेस्क:
पिछले हफ्ते तेल अवीव विश्वविद्यालय में “साइबर वीक 2025” सम्मेलन आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में तेल अवीव विश्वविद्यालय के अध्यक्ष, पूर्व प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट, और इज़रायल के “नेशनल साइबर सेंटर” के प्रमुख योसी कराडी समेत साइबर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्रों में इज़रायली, अमेरिकी और यूरोपीय विशेषज्ञ शामिल हुए।

अख़बार मआरिव के अनुसार, इस सम्मेलन में योसी कराडी ने ईरान की साइबर क्षमता को लेकर तेल अवीव की “बढ़ती चिंताओं” का उल्लेख किया और कहा कि पिछले छह महीनों में इज़रायल पर दर्जनों साइबर हमले और प्रभावकारी अभियानों को अंजाम दिया गया है, जो लाखों इज़रायलियों को प्रभावित कर चुके हैं।

उन्होंने अस्पताल शमीर पर एक नाकाम साइबर हमले का उदाहरण देते हुए दावा किया कि, एक ईरानी समूह ने एक विदेशी रैनसमवेयर की आड़ लेकर अपनी पहचान छिपाने की कोशिश की। उन्होंने इस घटना को “साइबर अपराध और राज्य-समर्थित कार्रवाई की सीमाओं के धुंधले होने” का संकेत बताया और ख़तरों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करते हुए कहा कि दुनिया “पहली साइबर युद्ध” में प्रवेश कर चुकी है। उनके अनुसार, यह एक ऐसा युद्ध है जो बिना एक भी गोली चलाए किसी देश के महत्वपूर्ण ढांचे को पंगु बना सकता है।

कराडी ने कहा:
“कल्पना कीजिए एक डिजिटल घेराबंदी की, जिसमें बिजलीघर ठप हो जाएँ, संचार कट जाए, परिवहन रुक जाए और पानी दूषित हो जाए। यह कोई भविष्य की काल्पनिक कहानी नहीं है, बल्कि एक वास्तविक और उभरती हुई प्रक्रिया है।”

उन्होंने आगे कहा कि इस युद्ध में “हर डिजिटल बुनियादी ढाँचा मोर्चे की अग्रिम पंक्ति है और हर नागरिक एक संभावित लक्ष्य।” उनके अनुसार, दुनिया तेज़ी से उस दौर की ओर बढ़ रही है जहाँ साइबर युद्ध पूरी तरह से भौतिक युद्धक्षेत्र की जगह ले सकता है।इज़रायल के साइबर संगठन के प्रमुख ने दावा किया कि, ईरान के साथ 12 दिन की लड़ाई के दौरान 1200 प्रभावकारी अभियानों की पहचान की गई, और दो हफ्तों में लाखों इज़रायली नागरिक कम से कम एक बार इन संदेशों या वीडियो के संपर्क में आए।

उन्होंने इस अवधि में देखे गए अन्य रुझानों को इस प्रकार गिनाया:

1- भौतिक हमलों और साइबर हमलों के बीच संगठित समन्वय

2- आपात स्थितियों के क्षणों में जनमत को भ्रमित करने के लिए व्यापक प्रभावकारी अभियान

3- सैन्य, सरकारी और शैक्षणिक क्षेत्रों में इज़राइली लक्ष्यों की जानकारी एकत्र कर भौतिक हमलों की तैयारी

4- ईरानी समूहों का जासूसी और जानकारी जुटाने से आगे बढ़कर बाधा उत्पन्न करने और तोड़फोड़ वाले अभियानों की ओर बढ़ना

उन्होंने हाल ही में वाइज़मैन इंस्टीट्यूट पर हुए मिसाइल हमले का भी उल्लेख किया। उनके अनुसार, ईरानी हैकर्स ने सुरक्षा कैमरे हैक कर हमले के क्षण को रिकॉर्ड किया, शिक्षाविदों को धमकी भरे ईमेल भेजे और कुछ जानकारी लीक भी की। यह उदाहरण दिखाता है कि भौतिक और साइबर हमलों का संयोजन कैसे किया जा रहा है।

कराडी ने माइक्रोसॉफ्ट के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया कि इज़रायल, दुनिया में साइबर हमलों की दृष्टि से तीसरे स्थान पर है और पिछले वर्ष होने वाले कुल वैश्विक साइबर हमलों में से 3.5 प्रतिशत का निशाना बना है। अंत में उन्होंने “डिजिटल ढाँचों पर इज़राइल की पूरी निर्भरता” पर चिंता व्यक्त की और कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का विस्तार इज़रायल के लिए एक बड़ा अवसर भी है और एक गंभीर खतरा भी।

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