ईरान के पास परमाणु ख़तरे को दूर करने के लिए 60 दिन का समय: नेतन्याहू
इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक वीडियो संदेश जारी करते हुए “इस्लामी गणराज्य (ईरान) पर ऐतिहासिक जीत” का दावा किया। उन्होंने बताया कि ग़ाज़ा, क्षेत्रीय मुद्दों और उससे भी आगे के मामलों पर उनकी और राष्ट्रपति ट्रंप की आपसी सहमति बनी है, जिसकी और जानकारी भविष्य में दी जाएगी। उन्होंने ईरान को 60 दिनों में समझौता करने की चेतावनी भी दी है।
हालांकि ईरान ने नेतन्याहू की इस धमकी से पहले ही अमेरिका और इज़रायल दो टूक जवाब दे दिया है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक़ची पहले ही यह साफ़ कर चुके हैं कि, वार्ता की मेज़ पर ईरान अपनी शर्तों के साथ लौटेगा , यह ईरान तय करेगा की हमें कब, और किन शर्तों के साथ वार्ता की मेज़ पर लौटना है। हम किसी भी दबाव में आकर कोई समझौता नहीं करेंगे।
नेतन्याहू यह भी कहा:
मैं इस दिन की शुरुआत उस व्यक्ति के परिवार के साथ गहरी संवेदना के साथ करता हूं, जिसकी हत्या अत्सियॉन क्षेत्र में हुई। हमने आतंकवाद के खिलाफ जूदिया और शमरोन से लेकर पूरे क्षेत्र में बड़ी सफलताएं हासिल की हैं, लेकिन इसकी क़ीमत भी चुकानी पड़ी है।”
“मैंने मारे गए और जीवित बंधकों के परिवारों से मुलाकात की। उन्हें बताया कि हमारी प्राथमिकता सभी बंधकों की रिहाई है। हम 60 दिन की अस्थायी युद्ध-विराम के बदले कुछ जीवित बंधकों और मृतकों के शव वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं।” नेतन्याहू ने बताया कि इस युद्ध-विराम की शुरुआत में स्थायी युद्ध-विराम की दिशा में बातचीत शुरू होगी। लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर कहा:
हमारी न्यूनतम शर्तें हैं — हमास को पूरी तरह हथियार छोड़ना होगा, ग़ाज़ा का सैन्यकरण ख़त्म होना चाहिए, और हमास को कोई राजनीतिक या सैन्य ताक़त नहीं मिलनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि, अगर यह सब बातचीत से संभव हुआ तो अच्छा है। अगर नहीं, तो हम इसे अपनी बहादुर सेना की मददऔर सैन्य ताक़त से हासिल करेंगे ।”
ईरान के बारे में नेतन्याहू ने कड़ा संदेश दिया:
अगर अगले 60 दिनों में अमेरिका-ईरान वार्ता से परमाणु ख़तरे को टाला जा सका तो ठीक, नहीं तो हम दूसरे तरीकों से इसे नष्ट कर देंगे।
उन्होंने स्वीकार किया कि युद्ध लंबा क्यों हो रहा है:
दुनिया की कोई भी सेना ऐसे युद्ध का सामना नहीं कर सकी है जैसा हम कर रहे हैं। हज़ारों हथियारबंद हमास लड़ाके अब भी ग़ाज़ा में मौजूद हैं। हम कूटनीति और सैन्य ताक़त के मेल से अभियान चला रहे हैं।”
उन्होंने कहा:
अमेरिका की चेतावनी के बावजूद हम रफ़ा और फिलाडेल्फी कॉरिडोर तक पहुँचे। हमारी कार्रवाई विश्व के लिए एक अद्वितीय सैन्य मिशन बन चुकी है। हमें पहले कहा गया था कि एक बार युद्ध-विराम के बाद हम वापस नहीं आएंगे, लेकिन हम लौटे। दूसरी बार भी लौटे। अब तीसरी बार भी लौटेंगे। चाहे कूटनीति से हो या सैन्य ताक़त से, हम अपने लक्ष्यों को हासिल करेंगे।”
बंधकों की रिहाई पर उन्होंने कहा:
“हम एक क्रूर आतंकी संगठन से जूझ रहे हैं। हम सभी बंधकों को एक साथ रिहा करना चाहते हैं, लेकिन हर बात हमारे नियंत्रण में नहीं है। जो कुछ भी हमारे हाथ में है, हम वो करेंगे ताकि सभी सुरक्षित लौटें।”


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