लेबनान के जनांदोलन और प्रभावी राजनैतिक दल हिज़्बुल्लाह के जनरल सेक्रेटरी सय्यद हसन नसरुल्लाह ने एक समरोह को संबोधित करते हुए यमन युद्ध का उल्लेख कर कहा यमन युद्ध शिया – सुन्नी से संबंधित सांप्रदायिक युद्ध नहीं है बल्कि यह युद्ध अमेरिका के हितों को साधने के लिए लड़ा जा रहा है।
हसन नसरुल्लाह ने कहा कि यमन की जनता के खिलाफ एक नए प्रकार का राजनैतिक और प्रोपगंडा युद्ध छेड़ दिया गया है। वह इस प्रकार कि अतिक्रमणकारी गठबंधन तो शांति चाहता है लेकिन यमन जनांदोलन अंसारुल्लाह शांति प्रस्ताव को रद्द कर रहा है। जबकि अंसारुल्लाह और यमन तो यह चाहता है कि यमन युद्ध के साथ साथ इस देश के खिलाफ जारी अतिक्रमणकारी हमले और नाकाबंदी भी ख़त्म की जाए।
हसन नसरुल्लाह ने इस साज़िश को बयान करते हुए कहा कि वह यमन के लोगों से कहते हैं कि आओ संघर्षविराम कर लें लेकिन यमन तक कोई सामान नहीं पहुँचने देंगे। इस देश के बंदरगाह और एयरपोर्ट इसी तरह बंद रहेंगे। यमन में कोई चीज नहीं आएगी, यमन की नाकाबंदी जारी रहे और हम वार्ता कर लें।
अतिक्रमणकारी गठबंधन युद्ध विराम का प्रस्ताव तो दे रहा है लेकिन न ही नाकाबंदी खत्म कर रहा है न इस देश के खिलाफ हमले बंद हो रहे हैं। यह बहुत बड़ा धोखा है। यमन के बच्चे भी इस धोखे में नहीं आएंगे। सय्यद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि हम अमेरिकी और सऊदी अरब से कहना चाहते हैं कि तुम वक्त बर्बाद कर रहे हो।
क्षेत्र के लिए अमेरिकी और जिओनिस्ट लॉबी की साज़िशों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आज साम्राज्यवादी धड़े के पास जो हथियार बाकी रह गया है वह क्षेत्र में फसाद और भेदभाव फैलाना है ताकि क्षेत्र में सांप्रदायिक और कबीलाई जंग छिड़ जाए।
उन्होंने फिलिस्तीन संकट पर बात करते हुए कहा कि फिलिस्तीन संकट एकदम स्पष्ट है। इस पर किसी बहस की जरूरत नहीं है। अमेरिका अभी इस्राईली लॉबी के उद्देश्यों को पूरा करने में लगा हुआ है और नील से फुरात तक का भाग इस लॉबी के अधीन लाने के लिए प्रयासरत है।
उन्होंने प्रतिरोधी मोर्चे की शक्ति का उल्लेख करते हुए कहा के प्रतिरोधी मोर्चे की बढ़ती हुई ताकत को देखकर साम्राज्यवादी लॉबी में भय का माहौल है। अमेरिका अतीत की तरह शक्तिशाली नहीं रह गया है। वह तेजी से पतन की ओर बढ़ रहा है। तल अवीव शासन भी अपने आका की तरह दिन प्रतिदिन पतन की ओर बढ़ रहा है।
सय्यद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि प्रतिरोधी मोर्चे ने पिछले 10 साल में क्षेत्र विशेषकर लेबनान, सीरिया, इराक और ईरान की कठोर नाकाबंदी की सूरत में अपना सख्त और कठिन समय गुजार दिया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से बदलते घटनाक्रम ने स्थिति बदल दी है अब अमेरिका की प्राथमिकता चीन और रूस है।
उन्होंने ईरान का जिक्र करते हुए कहा कि ईरान ट्रम्प की अधिकतम दबाव की नीति के आगे भी नहीं झुका, अब जबकि उसकी नाकाबंदी आहिस्ता आहिस्ता खत्म हो रही है तो वह अमेरिकी प्रशासन के आगे कैसे झुकेगा? नसरुल्लाह ने कहा कि दुनिया का हर न्याय प्रिय व्यक्ति ईरान और प्रतिरोधी मोर्चा के साथ खड़ा है।


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