ईरान की दो टूक, क़ासिम सुलेमानी के हत्यारों को नही छोड़ेंगे सरदार कासिम सुलेमानी की शहादत की दूसरी वर्षगांठ पर, ईरान के विदेश मामलों के मंत्रालय ने अपने ट्विटर पेज पर घोषणा की कि अमेरिकी राष्ट्रपति के सीधे आदेश से कासिम सुलेमानी की हत्या आतंकवाद का एक स्पष्ट उदाहरण है। क़ासिम सुलेमानी के हत्यारों को नही छोड़ेंगे।
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतीबजादेह ने पत्रकारों के साथ एक साप्ताहिक बैठक में शहीद कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद की गई कार्रवाइयों का वर्णन किया और कहा कि सरदार सुलेमानी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक नायक थे। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे रहने वाले व्यक्ति पर आतंकवादी हमले को दोहरा दंड माना जाता है और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के दावेदारों के झूठ का एक और संकेत माना जाता है और इतिहास इसका साक्षी रहेगा।
शहीद सुलेमानी, अबू महदी अल-मोहनदीस और उनके साथियों की हत्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने-माने आतंकवादियों द्वारा इस महान सरदार से बदला लिया गया है। सरदार सुलेमानी और उनके वफादार सहयोगियों को शहीद करने में अमेरिकी कार्रवाई एक आतंकवादी हमले और राज्य आतंकवाद का एक उदाहरण था, जिसे अमेरिकी सरकार द्वारा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सीधे आदेश पर संगठित तरीके से आयोजित किया गया था।
अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि ईरान द्वारा सख़्त बदला लेने पर लगातार बल देना एक ऐसा ख़तरा है, जिसे बाइडन की टीम आसानी से नज़रअंदाज नहीं कर सकती। सूत्रों का मानना है कि ईरान ट्रम्प प्रशासन में विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और उन अमेरिकी एवं इस्राईली अधिकारियों को निशाना बना सकता है, जिन्होंने जनरल क़ासिम सुलेमानी और उनके वफादार सहयोगियों की हत्या में भूमिका निभाई थी।
इंतक़ाम लेने के ईरान के वादे पर अमेरिकी और इस्राईली अधिकारियों को पूरा विश्वास है, यही वजह है कि उनकी नींद उड़ी हुई है और वह ट्रम्प के संरक्षण से अब बाइडन की शरण में जाना चाहते हैं। लेकिन यहां सवाल यह है कि क्या बाइडन ईरान की मार से उन्हें बचा पायेंगे, और उनके पापों से उन्हें मुक्ति दिल पायेंगे?