सऊदी अरब की ख़ुफ़िया जेलों में सैलाब ने ली बेशुमार क़ैदियों की जान
सऊदी अरब की ख़ुफ़िया भूमिगत काल कोठरी में दसियों क़ैदी सैलाब के कारण मारे गए हैं.
YJC की रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब की कई खुफिया काल कोठरी में बंद इन क़ैदियों को सैलाब के समय उनके हाल पर ही छोड़ दिया गया.
जेल प्रशासन की ओर से भूमिगत जेलों में बंद इन लोगों के लिए न तो सैलाब से बचने का कोई इंतज़ाम किया गया न ही उस समय उनकी कोई सहायता की गयी जब इन काल कोठरियों में पानी भर गया. सऊदी प्रशासन की लापरवाही के कारण इस सैलाब में दसियों क़ैदियों को आणि जान से हाथ धोना पड़ा है.
सऊदी अरब के प्रख्यात सोशल वर्कर हमूद अबू मिस्मार ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर इस घटना की जानकारी देते हुए कहा कि इस महीने के शुरू में आए सैलाब के कारण जेद्दाह में मौजूद एक ख़ुफ़िया जेल में दसियों क़ैदी बेमौत मारे गए हैं. भूमिगत यह जेल सऊदी अरब कोई ख़ुफ़िया एजेंसी से संबंधित है.
हमूद अबू मिस्मार ने कहा कि बाढ़ आने के बाद भूमिगत काल कोठरी में मौजूद क़ैदियों को जेल प्रशासन की ओर से बचाने की कोई कोशिश नहीं कि गयी. उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया. और बाद में उनके शवों को नामालूम स्थान पर पहुंचा दिया गया. यह वह हक़ीक़त है जिसके बारे में जाना जाए और दुनिया को बताया जाए.
आले सऊद की नीतियों के विरोधी एक अन्य सऊदी लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता तुर्की अल शाहलुब ने अपने ट्वीट में कहा कि सऊदी अरब के पूर्व विदेश मंत्री आदिल अल जुबैर ने कहा था कि आप जिसे मुखालिफ और विरोधी कहते हैं हम उसे आतंकी कहते है. यह बात सऊदी तानाशाही की अपना विरोध करने वालों के लिए उनकी बर्बरता और वहशीपन को बयान करने के लिए काफी है.
सलमा शहाब समेत सऊदी अरब में अन्य लोगों के खिलाफ उनके ज़ुल्म और अन्याय से भरे फैसले, और जमाल खाशुक़जी की हत्या और उसके टुकड़े टुकड़े करके लाश को छुपा देना इसका एक बेहतरीन उदाहरण है.