अबू धाबी एयरपोर्ट हमलों में भारतीयों की मौत, ईरान से संबंधों पर पड़ेगा फ़र्क़ ? संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर यमन जनांदोलन और संयुक्त बलों के हमलों में मारे जाने वाले लोगों में दो भारतीय नागरिक भी शामिल हैं।
अबू धाबी एयरपोर्ट पर ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइल से हमला करने वाले यमन जनांदोलन को ईरान का भरपूर समर्थन हासिल है। संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी आबू धाबी में सोमवार को हौसी जनांदोलन ने दो ड्रोन हमले किए। मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इन हमलों की वजह से तीन तेल टैंकरों में विस्फोट हुआ और एयरपोर्ट पर आग गई। इन हमलों में तीन लोगों की मौत हो गई, जिसमें दो भारतीय और एक पाकिस्तानी नागरिक शामिल हैं।
संयुक्त अरब अमीरात की ओर से हालाँकि इन हमलों को लेकर अभी बहुत स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा गया है लेकिन यमन जनांदोलन ने इन हमलों की ज़िम्मेदारी लेते हुए संयुक्त अरब अमीरात को यमन से दूर रहने की नसीहत की है।
यमन में गृहयुद्ध 2015 में शुरू हुआ था जिसमे ईरान ने यमन जनांदोलन अंसारुल्लाह का समर्थन किया जिसे हौसी आंदोलन के नामा से भी जाना जाता है जबकि सऊदी अरब और यूएई की गठबंधन सेनाएं यमन की अपदस्थ सरकार के समर्थन में यमन जनांदोलन और कार्यकारी सरकार की सेना से जंग लड़ रही हैं।
अक्सर कहा जाता रहा है अंसारुल्लाह जनांदोलन और यमन सेना ईरान द्वारा मिलने वाले हथियार से जंग लड़ रहे हैं। इस बार यमन युद्ध पर भारत और ईरान के बीच भी संबंधों में तनाव आ सकता है कारण यह है कि इस बार यमनी बलों के ड्रोन हमलों में दो भारतीयों की मौत हुई है। यमन ने इस हमले से पहले भी यूएई के एक मालवाहक जहाज को बंधक बनाया है, जिस पर सात भारतीय सवार हैं। भारत ने उनकी सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई है।
ईरान समर्थित यमनी बलों की इन कार्रवाईयों ने इस चर्चा को बल दे दिया है कि क्या इन वजहों से भारत और ईरान के रिश्ते बिगड़ सकते हैं?
कहा जाता है कि ईरान यमनी बलों के माध्यम से सऊदी अरब के साथ प्रॉक्सी वॉर लड़ रहा है। सऊदी अरब और ईरान की बनती नहीं है और ईरान हौसियों के माध्यम से सऊदी से छद्म युद्ध लड़ रहा है। ईरान का यमनी बलों पर कितना प्रभाव है, इसे लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। लेकिन उन के निर्णय लेने की क्षमता पर कई बार ईरान का प्रभाव देखने को मिलता है।
ईरान और भारत के बीच शताब्दियों से संबंध रहे हैं। आजाद भारत और ईरान के बीच राजनयिक रिश्तों की नींव 15 मार्च 1950 को पड़ी थी। ईरान में भारत के दूतावास के अलावा, दो वाणिज्य दूतावास भी हैं। 1979 में ईरानी क्रांति के बाद संबंधों में थोड़ा बहुत उतार चढ़ाव देखने को मिला, क्योंकि तेहरान ने कश्मीर मुद्दे पर बयानबाजी की। हालांकि, इन सबके बाद भी दोनों मुल्कों के बीच आर्थिक रिश्ते बढ़ते रहे हैं।
भारत और ईरान के बीच हालिया वर्षों में रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं। भारत ईरान से बड़ी मात्रा में तेल आयात करता है। दोनों मुल्कों के बीच 2020 में 4.7 अरब डॉलर से अधिक का द्विपक्षीय व्यापार हुआ। ईरान भारत के लिए मध्य एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में काम करता है। पाकिस्तान की वजह से भारत को मध्य एशिया तक पहुंच हासिल करने में कठिनाई होती रही है। लेकिन अब ईरान के जरिए भारतीय माल मध्य एशिया तक पहुंच पाता है।
1995 में एक समझौते के अनुसार भारतीय सामान ईरान के बंदरगाह बंदर-ए- अब्बास से होकर तुर्कमेनिस्तान द्वारा मध्य एशिया पहुंचाया जाने लगा। भारत और ईरान के रिश्ते कितने बेहतर हैं, इसका नमूना हाल ही में देखने को मिला, जब ईरान ने अफगानिस्तान में मदद भेजने के लिए अपने देश के दरवाजे खोले। ईरान अफगानिस्तान में कनेक्टिविटी के लिए बेहद जरूरी है।
अपनी ऊर्जा जरूरत के लिए भी भारत ईरान पर निर्भर है, क्योंकि बड़ी मात्रा में तेहरान से तेल को आयात किया जाता है। इसके अलावा, भारत और ईरान के बीच IPI (ईरान, पाकिस्तान, इंडिया) गैस पाइपलाइन बिछाने के लिए समझौता भी हुआ है। इसके इतर, चाबहार परियोजना एक ऐसा प्रोजेक्ट है, जिस पर सबकी नजरें रहती हैं। दरअसल, भारत द्वारा ईरान के चाबहार का विकास करने पर इसे दोहरा लाभ मिलेगा। ये अफगानिस्तान, मध्य एशिया और यूरोप तक जाने का गेटवे होगा। इसके अलावा, पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को टक्कर देते हुए चीन के बढ़ते प्रभाव को हिंद महासागर में रोकने का काम करेगा।
यमनी बलों को ईरान के समर्थन के कारण तेहरान को समय समय पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निंदा और आलोचना का सामना करना पड़ा है। ईरान ने लगातार इस बात से पल्ला झाड़ा है कि वह विद्रोहियों को हथियार, पैसा या किसी तरह का समर्थन मुहैया कराता है। वहीं, अब भारतीयों की मौत के बाद भारत और ईरान के रिश्तों पर भी सवाल उठने लगे हैं।
नई दिल्ली और ईरान के बीच भले ही दोस्ताना रिश्ते रहे हैं, लेकिन नई दिल्ली हमेशा से ही आतंक को लेकर जीरो-टोलरेंस की नीति अपनाता रहा है। ऐसे में हो सकता है कि भारत ईरान को यमनी बलों पर कार्रवाई करने को कहे दें। लेकिन इस बात की भी चर्चा है कि दोनों देशों के रिश्ते पर इस घटना से ज्यादा असर देखने को नहीं मिलने वाला है।


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