इस्राईल सरकार द्वारा न्यायिक बदलावों के खिलाफ 10वें हफ्ते में भारी भीड़ उमड़ी
इस्राईल में नेतन्याहू सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन जारी है। आयोजकों का कहना है कि शनिवार के विरोध प्रदर्शनों में 500,000 लोगों ने भाग लिया, जिससे वह ‘इस्राईल के इतिहास में सबसे बड़े’ प्रदर्शनकारियों, में से एक बन गए। सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों पर अंकुश लगाने के लिए प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सरकार द्वारा लाई गई योजनाओं के विरोध में, लगातार 10 वें सप्ताह तक दूर-दराज़ के सैकड़ों ,हजारों लोगों ने इज़राइल के शहरों में रैली की।
आयोजकों ने कहा कि शनिवार की रैलियों में रिकॉर्ड 500,000 लोगों ने भाग लिया, जो उन्हें “इस्राईल के इतिहास में सबसे बड़ी” रैलियों में से एक बनाता है। प्रदर्शन ऐसे समय में हो रहे हैं जब नेतन्याहू की सरकार अगले सप्ताह अपने एजेंडे पर जोर देने की तैयारी कर रही है, विभाजनकारी न्यायिक सुधारों पर बातचीत की अनुमति देने के लिए विराम देने का आह्वान किया है।
एक प्रदर्शनकारी टेक उद्यमी रान शाहोर ने तटीय शहर तेल अवीव में एएफपी समाचार एजेंसी को बताया, “मैं प्रदर्शन कर रहा हूं क्योंकि नई सरकार जो कदम उठाना चाहती है, वह इस्राईल के लोकतंत्र के लिए एक वास्तविक और तत्काल खतरे का प्रतिनिधित्व करती है।” 58 वर्षीय तामीर गायत्सबरी ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी को बताया कि “यह एक न्यायिक सुधार नहीं है। यह एक ऐसी चीज़ है जो इस्राईल को पूर्ण तानाशाही की ओर ले जा रही है और मैं चाहता हूं कि इस्राईल मेरे बच्चों के लिए एक लोकतंत्र बना रहे।
कुछ 200,000 इस्राईलियों ने तेल अवीव में रैली की, जबकि 50,000 लोगों ने उत्तरी शहर हाइफा में और 10,000 ने बेर्शेबा में विरोध किया। इस्राईली मीडिया के अनुसार दोनों शहरों में यह अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन है। कानूनी परिवर्तनों पर हंगामे ने इज़राइल को अपने सबसे खराब घरेलू संकटों में से एक में लाकर खड़ा कर दिया है। विरोध प्रदर्शनों ने हजारों इजरायलियों को सड़कों पर खींच लिया है और हाल ही में यह प्रदर्शन हिंसक हो गया है।
पूरे देश में विरोध बढ़ गया है, व्यापार जगत के नेताओं और कानूनी अधिकारियों ने इस योजना के विनाशकारी प्रभावों को लेकर सरकार को चेताया है। अगर नेतन्याहू सरकार अपने क़दम पीछे नहीं खींचती है तो इसके गंभीर प्रणाम हो सकते हैं। नेतन्याहू सरकार द्वारा लाई गई न्यायिक योजना में सरकार को जो न्यायाधीशों का चयन करती है और सर्वोच्च न्यायालय को तथाकथित बुनियादी कानूनों, इस्राईल के अर्ध-संविधान में किसी भी संशोधन को रद्द करने के अधिकार से वंचित कर देगी।