हारेत्ज़ अख़बार का नेतन्याहू से सवाल, अगर बच्चों की हत्या “भलाई” है, तो “बुराई” क्या है?

हारेत्ज़ अख़बार का नेतन्याहू से सवाल, अगर बच्चों की हत्या “भलाई” है, तो “बुराई” क्या है?

इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए गए भाषण पर तीखी प्रतिक्रियाएँ हुई हैं। यहाँ तक कि एक इज़रायली अख़बार ने उन पर ज़ोरदार हमला बोला। हारेत्ज़ अख़बार ने संयुक्त राष्ट्र में नेतन्याहू के भाषण पर उनसे से सवाल किया कि, अगर बच्चों की हत्या “भलाई” है, तो “बुराई” क्या है?

नेतन्याहू का शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिया गया भाषण कड़ी आलोचनाओं का कारण बन गया है। इब्रानी भाषा के अख़बार हारेत्ज़ में वामपंथी लेखक गिदोन लेवी ने इस भाषण पर टिप्पणी करते हुए लिखा कि, नेतन्याहू का बार-बार यह कहना कि “अभी यह खत्म नहीं हुआ” इस बात का संकेत है कि, वह युद्ध जारी रखने पर अड़े हुए हैं – न केवल ग़ाज़ा के ख़िलाफ़ बल्कि उन इज़रायलियों के ख़िलाफ़ भी जो उनके इस्तीफ़े की माँग कर रहे हैं।

अल-जज़ीरा की रविवार की रिपोर्ट के अनुसार, लेवी ने अपने लेख में नेतन्याहू को “माफ़िया बॉस”, “नंबर वन झूठा” और “निर्दयी” जैसे शब्दों से संबोधित किया और लिखा कि, वह अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत में मुक़दमे के लिए “सबसे पहली प्राथमिकता” हैं। उनके अनुसार, संयुक्त राष्ट्र में उन्हें बोलने का मौक़ा देना ही एक “बड़ी शर्मिंदगी” है।

लेवी लिखते हैं कि, अगर कोई व्यक्ति नेतन्याहू का भाषण सुने और उसे ग़ाज़ा और वेस्ट बैंक में इज़रायल की कार्रवाइयों की जानकारी न हो, तो उसे ऐसा लगेगा जैसे इज़रायल की सेना “बचाव की सेना” है, इज़रायल बच्चों की मदद में यूनिसेफ़ से प्रतिस्पर्धा कर रहा है और ख़ुद नेतन्याहू गांधी का सच्चा शिष्य है। लेवी ने इस तरह की तस्वीर को व्यंग्यपूर्ण और वास्तविकता के उलट बताया।

लेवी ने भाषण शुरू होते ही कई देशों के राजनयिक प्रतिनिधियों के हॉल से बाहर निकलने का ज़िक्र भी किया और लिखा कि, यह दृश्य हर इज़रायल को शर्मिंदा कर सकता है और सोचने पर मजबूर कर सकता है कि, यह शासन कहीं ग़लती कर रहा है – हालाँकि कई लोग इसे “यहूदी-विरोध” का परिणाम मानते हैं।

लेवी ने नेतन्याहू के “ग़ाज़ा की तबाही” वाले दावे की आलोचना करते हुए सवाल किया: 20 हज़ार बच्चों की हत्या, 40 हज़ार को अनाथ बना देना और पूरे ग़ाज़ा को मिटा देना भला “भलाई का काम” कैसे हो सकता है?

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि, जहाँ नेतन्याहू ने कहा कि 90% फ़िलिस्तीनी 7 अक्टूबर 2023 के हमले का समर्थन करते हैं, वहीं हक़ीक़त यह है कि 90% से ज़्यादा इज़रायली संसद (कनेस्सेट) के सदस्य फ़िलिस्तीनी राज्य के गठन का विरोध कर चुके हैं।

लेवी ने नेतन्याहू की सबसे बड़ी “झूठी नौटंकी” उस जवाब को बताया जिसमें उन्होंने ग़ाज़ा में नरसंहार के आरोप की तुलना होलोकॉस्ट से की। उनका कहना है कि, नेतन्याहू का बार-बार कहना कि “अभी यह खत्म नहीं हुआ” इस बात का साफ़ इशारा है कि, युद्ध और विनाश जारी रहेगा और प्रधानमंत्री की बातों में गहरा विरोधाभास है।

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