ग़ाज़ा त्रासदी: घायल फिलिस्तीनियों की मदद से रोक रहा इज़रायल
ग़ाज़ा में इज़रायली हमलों ने अब सिर्फ बमों और गोलियों तक सीमित रहकर तबाही नहीं मचाई है, बल्कि अब ज़ख़्मी और तड़पते हुए इंसानों तक पहुँचने वाली ऐम्बुलेंसों को भी जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। ग़ाज़ा की सीमित मेडिकल व्यवस्था पहले ही तबाह हो चुकी है, अस्पतालों में बेड नहीं हैं, दवाइयाँ नहीं हैं, बिजली नहीं है, और अब राहत वाहनों को भी जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है।
रफ़ह में मानवीय सहायता के लिए क़तार में खड़े मासूम नागरिकों पर हमला करके और फिर ज़ख़्मी लोगों की मदद रोककर, इज़रायल ने साबित कर दिया है कि यह सिर्फ युद्ध नहीं, बल्कि एक ‘डिजिटल और फिज़िकल नरसंहार’ है। महर समाचार एजेंसी के अनुसार, ग़ाज़ा आपात सेवा के निदेशक ने अल-जज़ीरा न्यूज़ चैनल से बातचीत में बताया कि इज़रायली शासन रफ़ह के पश्चिमी हिस्से में मिसाइल हमले की जगह तक राहत दलों को पहुँचने से रोक रहा है।
उन्होंने कहा कि रफ़ह में इज़रायली मिसाइल हमलों में घायल लोगों को निकालने का काम बहुत ज़्यादा ख़तरनाक हो गया है, और इज़रायली सेना जानबूझकर एम्बुलेंसों को वहाँ पहुँचने से रोक रही है। उत्तरी ग़ाज़ा के राहत निदेशक ने बताया कि घायल लोग आधे घंटे से ज़्यादा समय तक एम्बुलेंसों का इंतज़ार करते हैं, क्योंकि वहाँ चिकित्सा सुविधाएँ बेहद सीमित हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि रफ़ह में मानवीय सहायता की प्रतीक्षा कर रहे फिलिस्तीनियों पर इज़रायली हमले के बाद राहत अभियान जारी है, लेकिन लगातार मिसाइल हमलों के बीच काम करने के लिए ज़रूरी एम्बुलेंसों की भारी कमी है, और इज़रायली सेना जानबूझकर राहत वाहनों को निशाना बना रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि मानवीय सहायता केंद्र अब फिलिस्तीनियों के अपमान का केंद्र बन चुके हैं और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस अपमानजनक रवैये को रोकना चाहिए। ग़ाज़ा की एक राहत संस्था के चिकित्सा दल के प्रमुख ने बताया कि ग़ाज़ा पट्टी में चिकित्सकीय उपकरण लगभग समाप्त हो चुके हैं।
उन्होंने रफ़ह में मानवीय सहायता की प्रतीक्षा कर रहे लोगों पर हुए हालिया इज़रायली हमले को एक भयानक अपराध बताया और कहा कि अब तक 30 से अधिक शहीदों के शव अस्पतालों में पहुँचाए गए हैं। चिकित्सा और राहत कार्यों में लगे इस अधिकारी ने बताया कि शहीदों और घायलों की संख्या ग़ाज़ा के अस्पतालों की क्षमता से कहीं अधिक है।
मानवीय सहायता केंद्रों को जानबूझकर अपमान और हिंसा के प्रतीकों में बदल देना, यह दिखाता है कि इज़रायल फिलिस्तीनी समाज की आत्मा को भी कुचलना चाहता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों की चुप्पी इस अपराध में बराबर की हिस्सेदार बनती जा रही है।


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