विदेश में पढ़ाई के लिए बमबारी से बचे ग़ाज़ा के छात्र, अब सरकारी अड़चनों में फंसे
ग़ाज़ा के छात्रों ने बाहरी देशों में पढ़ाई के लिए बमबारी और युद्ध जैसी कठिनाइयों को पार कर लिया, लेकिन अब सरकारी नीतियाँ उनकी राह का रोड़ा बन गई हैं। क़रीब 80 छात्रों को ब्रिटेन की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटियों में दाख़िला मिला है, जिनमें से कई को पूर्ण छात्रवृत्ति (स्कॉलरशिप) भी मिली। लेकिन ये छात्र आज भी युद्धग्रस्त ग़ाज़ा में “फंसे” हुए हैं, क्योंकि ब्रिटिश सरकार के सख्त और लगभग असंभव नियम उन्हें यूनिवर्सिटी में दाख़िला लेने से रोक रहे हैं।
इस साल दर्जनों फिलिस्तीनी छात्रों को ब्रिटेन की शीर्ष यूनिवर्सिटियों में एडमिशन मिला, जिनमें से लगभग 32 छात्रों को बड़ी स्कॉलरशिप भी दी गई। इन्होंने अपने आवेदन उस वक़्त दिए जब ग़ाज़ा पर इज़रायली हमले जारी थे। कई छात्रों ने वाई-फाई सिग्नल पकड़ने के लिए जान जोखिम में डाल कर इंटरव्यू दिए, लेकिन अब जब ये छात्र अपनी पढ़ाई शुरू करना चाहते हैं, तो ब्रिटेन का होम ऑफिस और उसका जटिल वीज़ा सिस्टम एक दीवार बनकर खड़ा है।
टाइम्स अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक, इज़रायली बमबारी के बीच बहुत से छात्रों ने जोखिम उठा कर स्क्रीनिंग प्रक्रिया पूरी की। कई छात्र अब तंबुओं में रह रहे हैं, अपने एग्ज़ाम पेपर गधागाड़ी पर रखकर मलबे के बीच से ले जाते हैं। एक छात्र “करम अल-राज़ी” ने मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी का इंटरव्यू उस वक़्त दिया जब इज़रायली हमले का एक टुकड़ा उसकी टांग में धंसा हुआ था। एक और छात्र ने एक असुरक्षित इलाके से गुजरकर वाई-फाई हब तक पहुंचकर ऑनलाइन टेस्ट दिया, लेकिन बीच में ही सिग्नल चला गया।
कुछ छात्रों ने कार की बैटरी या सोलर पैक्स से मोबाइल चार्ज कर, रातों को WhatsApp और Signal के ज़रिए इंटरव्यू दिए। अब भी ग़ाज़ा में इंटरनेट बेहद कमजोर है, और छात्र दिनों तक अच्छा सिग्नल पकड़ने के लिए भटकते रहते हैं।आख़िरकार, 80 छात्रों को ब्रिटेन की यूनिवर्सिटियों में एडमिशन मिल गया, लेकिन वीज़ा संबंधी नियम अब उनकी सबसे बड़ी बाधा बन गए हैं।
ब्रिटेन का होम ऑफिस छात्रों से बायोमेट्रिक डेटा (जैसे फिंगरप्रिंट आदि) जमा कराने की शर्त पर अड़ा है, जो फिलहाल नामुमकिन है क्योंकि ग़ाज़ा का वीज़ा ऑफिस अक्टूबर 2023 से बंद पड़ा है। सैद्धांतिक रूप से छात्र जॉर्डन या मिस्र जाकर यह प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं, लेकिन ग़ाज़ा से निकलने के लिए ब्रिटिश सरकार की मंज़ूरी जरूरी है।
इटली ने एक वैकल्पिक तरीका अपनाया। छात्रों को बॉर्डर पार कराकर बाद में उनका डेटा लिया गया। आयरलैंड ने तो मई में बायोमेट्रिक की शर्त पूरी तरह हटा दी और 16 छात्रों को निकालने में मदद की। इस बीच, ब्रिटेन और फ्रांस सहित 25 देशों ने सोमवार को एक साझा बयान जारी कर ग़ाज़ा में युद्ध रोकने की मांग की।
इस बयान पर लगभग 20 यूरोपीय देशों के विदेश मंत्रियों, साथ ही कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और यूरोपीय यूनियन के कमिश्नर ने हस्ताक्षर किए, लेकिन अमेरिका और जर्मनी ने इस बयान पर हस्ताक्षर नहीं किए।


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