ग़ाज़ा: अमेरिकी और इज़रायली राहत सामग्री में नशे की गोलियाँ मिलने का आरोप

ग़ाज़ा: अमेरिकी और इज़रायली राहत सामग्री में नशे की गोलियाँ मिलने का आरोप
फिलिस्तीनी अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि वे अमेरिका और इज़रायल समर्थित राहत केंद्रों से दूरी बनाए रखें, खाने-पीने की चीज़ों की गहन जांच करें और बच्चों को नशे के ख़तरों से सतर्क करें। ग़ाज़ा के सरकारी मीडिया कार्यालय ने शुक्रवार को दावा किया कि घिरे हुए फिलिस्तीनी इलाके में अमेरिकी और इज़रायली समर्थन से चलने वाले राहत केंद्रों द्वारा बाँटी गई मानवीय मदद में जानबूझकर नशे की गोलियाँ मिलाई गईं। अधिकारियों ने इस कृत्य को “एक घिनौना अपराध” बताते हुए कहा कि इसका मकसद आम जनस्वास्थ्य और फिलिस्तीनी समाज को नुकसान पहुँचाना है।
एक बयान में बताया गया कि चार से ज़्यादा लोगों ने राहत में मिले आटे के थैलों में ऑक्सीकोडोन (Oxycodone) जैसी नशीली गोलियों के छिपे होने की जानकारी दी। ये थैले अमेरिका और इज़रायल समर्थित केंद्रों से वितरित हुए थे, जिन्हें अधिकारियों ने “मौत का जाल” बताया। इस खुलासे की शुरुआत ग़ाज़ा के फार्मासिस्ट और लेखक उमर हम्माद ने की थी। उन्होंने लिखा कि “नरसंहार का सबसे घिनौना रूप अब इस नशे के फैलाव के ज़रिए सामने आ रहा है,” जिसे इज़रायल राहत सामग्री के माध्यम से तस्करी कर रहा है। कुछ मामलों में आटा भी नशे से मिश्रित पाया गया है।
मीडिया कार्यालय ने आशंका जताई कि, कुछ गोलियाँ पीसकर या घोलकर आटे में मिलाई गई होंगी। उन्होंने इसे एक सुनियोजित रणनीति बताया, जिसमें नशे को युद्ध के “सॉफ्ट वेपन” के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। अधिकारियों का आरोप है कि, इज़रायल मानवीय सहायता की आड़ में “जनसंहार अभियान” चला रहा है। उन्होंने बताया कि राहत वितरण शुरू होने के सिर्फ एक महीने के अंदर 549 नागरिक मारे जा चुके हैं, 4,000 से ज़्यादा घायल हुए हैं और 39 लोग लापता हैं।
फिलिस्तीनी प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं जैसे संयुक्त राष्ट्र और इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट से अपील की है कि वे हस्तक्षेप करें और इन विवादास्पद राहत केंद्रों को बंद करवाएं। उन्होंने ज़ोर दिया कि सहायता केवल संयुक्त राष्ट्र की मान्यता प्राप्त संस्थाओं (जैसे UNRWA) के माध्यम से दी जानी चाहिए।
ग़ाज़ा के मीडिया कार्यालय ने इस घटना को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन बताया और ग़ाज़ा की नाकेबंदी तत्काल हटाने की माँग दोहराई। यूरो-मेड ह्यूमन राइट्स मॉनिटर ने संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से “सिर्फ निंदा” से आगे जाकर ग़ाज़ा में हो रहे इज़रायली अपराधों के खिलाफ स्पष्ट और निर्णायक रुख अपनाने की माँग की है।
उन्होंने कहा कि इज़रायल “ग़ाज़ा ह्यूमैनिटेरियन फ़ाउंडेशन” के ज़रिए जनसंहार का एक नया तरीका अपना रहा है, जिस पर मानवता का मुखौटा लगाया गया है और इससे ग़ाज़ा में नरसंहार और बढ़ गया है।

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