ग़ज़्ज़ा, 15 साल से नाकाबंदी, UNO ने बताया मानवता के विरुद्ध अपराध
फिलिस्तीन का ग़ज़्ज़ा पिछले 15 साल से इस्राईल की नाकाबंदी का सामना कर रहा है. फिलिस्तीन टुडे की रिपोर्ट के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने इस्राईल की ओर से ग़ज़्ज़ा की नाकाबंदी को मानवता के विरुद्ध अपराध बताया है.
मानवाधिकार संगठन ने ग़ज़्ज़ा की घेराबंदी को ग़ैर इंसानी बताते हुए कहा कि इस इलाक़े की पिछले 15 वर्षों से जारी घेरा बंदी एक नस्लवादी हरकत और ग़ैर इंसानी काम है. यह इंसानियत के खिलाफ ज़ुल्म और लाखों इंसानों पर अत्याचार है.
ग़ज़्ज़ा की घेराबंदी के कारण 20 लाख से अधिक लोग पीड़ित हैं.वह अपने जीवन को बेहतर बनाने के हर अवसर से महरूम हैं तथा नरकीय जीवन जी रहे हैं. इस्राईल की नाकाबंदी के कारण यहाँ की अर्थव्यवस्था ठप हो गई है. लोगों के पास संसाधन नहीं है तथा वह आगे बढ़ने के अवसर खो चुके हैं.
बता दें कि फिलिस्तीन लगातार ग़ज़्ज़ा की नाकाबंदी ख़त्म करने की आवाज़ उठाता रह है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और UNO की ओर से बयानबाज़ी और निंदा के अलावा कभी कोई प्रभावी क़दम नहीं उठाया गया है.
बता दें कि जून 2007 में फिलिस्तीन चुनाव में फिलिस्तीन मुक्ति आंदोलन के अग्रणी दल हमास की जीत और फतह मूवमेंट की हार के बाद इस्राईल और मिस्र के बीच हुए सुरक्षा समझौते के तहत हमास पर दबाव बनाने के नाम पर ग़ज़्ज़ा की नाकाबंदी शुरू की गई थी.
ग़ज़्ज़ा की नाकाबंदी के बाद से ही अंतर्राष्ट्रीय सहायता समूहों और पत्रकारों तक का ग़ज़्ज़ा में दाखिला बंद कर दिया गया था.