ग़ाज़ा में भोजन सहायता बंद होने का ख़तरा

ग़ाज़ा में भोजन सहायता बंद होने का ख़तरा

ग़ाज़ा के सरकारी सूचना कार्यालय के प्रमुख ने अल जज़ीरा को दिए इंटरव्यू में बताया कि इज़रायली शासन युद्ध-विराम समझौते के मानवीय प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रहा है। उन्होंने कहा कि अब तक ग़ाज़ा पट्टी में पहुंची सहायता वहां की ज़रूरतों को एक सप्ताह से अधिक पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

उन्होंने इज़रायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के निर्णय की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि सहायता आपूर्ति को रोकने का फ़ैसला इस शासन के क्रूर चेहरे को उजागर करता है। यह शासन अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों की खुलेआम अवहेलना कर रहा है और ग़ाज़ा के नागरिकों तक भोजन और दवाइयां पहुंचने से रोक रहा है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि सहायता आपूर्ति रोकने का सीधा अर्थ ग़ाज़ा के निवासियों को भुखमरी की स्थिति में डालना है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि इस अमानवीय नीति को रोकने के लिए इज़्रय;इज़रायली शासन पर सख्त दबाव बनाया जाए।

युद्ध-विराम के पहले चरण की समाप्ति के साथ सहायता बंद
इज़रायली मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस शासन ने युद्ध-विराम समझौते के पहले चरण की समाप्ति के बाद ग़ाज़ा में मानवीय सहायता भेजना रोक दिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय की घोषणा के अनुसार, नेतन्याहू ने कल सुबह से ग़ाज़ा पट्टी में सभी प्रकार की वस्तुओं और सहायता की आपूर्ति रोकने का आदेश दिया है।

ज़ायोनी टीवी चैनल 14 ने बताया कि यह निर्णय नेतन्याहू की अध्यक्षता में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में लिया गया, जिसमें अमेरिकी पक्ष से भी समन्वय किया गया था।इज़रायली रेडियो और टेलीविज़न संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, इस शासन के मंत्रिमंडल ने सेना को आदेश दिया है कि ग़ाज़ा पट्टी से जुड़े सभी क्रॉसिंग पॉइंट पूरी तरह से बंद कर दिए जाएं।

दूसरे चरण की वार्ता से पहले इज़रायली रणनीति
1 मार्च को युद्ध-विराम के पहले चरण की 42 दिन की अवधि समाप्त हो गई, जबकि अब तक दूसरे चरण की वार्ता शुरू नहीं हुई है। इसी बीच, बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने घोषणा की कि इज़रायल, डोनाल्ड ट्रंप के दूत ‘स्टीव विटकॉफ़’ की दूसरे चरण के युद्ध-विराम योजना को स्वीकार करने के लिए तैयार है।

ग़ाज़ा में जारी संकट के बीच सहायता रोकने का निर्णय अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के उल्लंघन और मानवीय संकट को और गहरा करने वाला कदम है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तत्काल हस्तक्षेप कर इज़रायली शासन पर दबाव डालना चाहिए ताकि ग़ाज़ा के नागरिकों को आवश्यक सहायता प्राप्त हो सके।

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