सऊदी अरब और यूएई के बीच विदेशी निवेश पाने के लिए छिड़ा शीत युद्ध

सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के बीच हालिया वर्षों में, विदेशी कंपनियों से निवेश आकर्षित करने विशेषकर वह कंपनियां जिनका मुख्यालय मिडिल ईस्ट में मौजजूद है प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है।

क्षेत्र का यह सबसे समृद्ध और सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था रखने वाला देश दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक है जो अपनी तेल-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने के लिए अपने विज़न 2030 पर तेज़ी से काम कर रहा है।

सऊदी युवराज मोहम्मद बिन सलमान को उम्मीद है कि देश में निवेश के अवसरों को बढ़ावा देने से अगले एक दशक तक $ 6 ट्रिलियन तक पहुंचने में मदद मिलेगी।

Doing Business की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब 2019 के बाद से 30 स्थान की छलांग लगाकर विश्व अर्थव्यवस्था में 62वें स्थान पर पहुँच गया है, जबकि विश्व बैंक के अनुसार, यूएई शीर्ष 16 में जगह बनाए हुए है।
यूएई अपने प्रौद्योगिकी क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ने और निर्माण तथा रियल एस्टेट जैसे उद्योगों से दूर जाने की योजना पर काम कर रहा है।
दुबई के लगभग सभी प्रमुख मल्टी नेशनल कंपनियों के गढ़ के रूप में होने के अलावा संयुक्त अरब अमीरात क्षेत्रीय व्यापार पर हावी है।
2020 में सऊदी अरब में विदेशी निवेश लगभग 4.7 बिलियन डॉलर था, जबकि संयुक्त अरब अमीरात के अकेले दुबई में यह आंकड़ा 6.7 बिलियन डॉलर था।

 

 

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