नेतन्याहू की क्षमा याचना के विरोध में नागरिकों का राष्ट्रपति भवन के बाहर प्रदर्शन

नेतन्याहू की क्षमा याचना के विरोध में नागरिकों का राष्ट्रपति भवन के बाहर प्रदर्शन

रविवार को तेल अवीव में सैकड़ों नागरिकों ने उस क्षमा याचना के विरुद्ध प्रदर्शन किया, जिसे इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने विरुद्ध चल रहे भ्रष्टाचार मामलों को समाप्त कराने के लिए राष्ट्रपति को भेजा था। प्रदर्शन में विपक्षी दल के नेता तथा संसदीय सदस्य नामाह लाज़ीमी सहित कई लोग शामिल थे। उन्होंने आग्रह किया कि इज़रायली राष्ट्रपति इसाक हर्जोग तुरंत इस क्षमा याचना को अस्वीकार करें।

प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए, तख्तियाँ उठाईं जिन पर “आप नेता हैं, आप अपराधी हैं” जैसे वाक्य लिखे थे। एक व्यक्ति ने नेतन्याहू का मुखौटा और कारागार की पोशाक पहनकर व्यंग्यात्मक विरोध भी किया। सभी ने उन आरोपों को उजागर किया जो पिछले वर्षों में प्रधानमंत्री पर लगाए गए हैं। यह प्रदर्शन “क्षमा = कागज़ी लोकतंत्र” शीर्षक के साथ हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने केले के ढेर के पीछे खड़े होकर क्षमा को असंगत और हास्यास्पद बताया।

यह विरोध ऐसे समय में हुआ जब बेंजामिन नेतन्याहू ने अपनी विधिक टीम के माध्यम से राष्ट्रपति से क्षमा याचना कर दी है। उनके विरुद्ध यरूशलम जिला न्यायालय में तीन बड़े भ्रष्टाचार मामले चल रहे हैं। नेतन्याहू सभी आरोपों से इनकार करते हैं और इन्हें “मीडिया तथा राजनीति की साज़िश” बताते हैं। नए राजनीतिक तनाव में अंतरराष्ट्रीय स्तर के कुछ विधिक कदम भी शामिल हैं।

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने नवंबर 2024 में नेतन्याहू तथा पूर्व रक्षामंत्री पर युद्ध अपराध और मानवता विरुद्ध अपराध के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे, जिन्हें इज़रायल ने अस्वीकार कर दिया है। प्रदर्शनकारियों और विपक्ष का मत है कि जिस व्यक्ति पर भ्रष्टाचार तथा युद्ध अपराध के आरोप हों उसे राजनीतिक पद छोड़ने से पहले क्षमा देना लोकतांत्रिक और न्यायिक व्यवस्था के लिए हानिकारक होगा।

नेतन्याहू का मामला 2020 से लंबित है और यरूशलम जिला न्यायालय में गवाहों की सुनवाई 2021 से जारी है। वर्ष 2025 की शुरुआत में अभियोजन पक्ष ने अपनी दलीलें समाप्त कर दीं और मई 2025 के बाद बचाव पक्ष द्वारा पूछताछ आरंभ हुई, जो मुकदमे के निर्णायक चरण का संकेत है। दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा 21 नवंबर 2024 को जारी वारंट ने इज़रायल की अंतरराष्ट्रीय अलगाव को और गहरा किया।

न्यायालय ने आरोप लगाया कि नेतन्याहू और पूर्व रक्षामंत्री गैलेंट ने ग़ाज़ा युद्ध के दौरान मानवीय सहायता तथा मूलभूत आवश्यकताओं को अनुचित रूप से रोका और नागरिकों को भोजन, जल, औषधि, बिजली तथा ईंधन से वंचित किया। यद्यपि इज़रायल इस न्यायालय का सदस्य नहीं है, फिर भी यह वारंट 124 सदस्य देशों में लागू है, जिसका अर्थ है कि यदि ये नेता उन देशों में जाते हैं तो उन्हें गिरफ़्तार किया जा सकता है।

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