चीन ने ईरान के खिलाफ अमेरिका के प्रतिबंधों को ठुकराया
अमेरिका का बाइडन प्रशासन एक साथ कई नाव पर सवारी करने के ख़्वाब देख रहा है. एक ओर वह इस्राईल और सऊदी अरब से संबंधो को ज़बूत करते हुए ईरान के खिलाफ मिलिट्री एलायंस के गठन में लगा हुआ है वहीँ दूसरी ओर अपनी मनमर्ज़ी थोप कर ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते में पलटने की कोशिशों में भी लगा हुआ है.
ईरान पर दबाव बनाने के लिए बा एक बार फिर अमेरिका ने ईरान के ऑयल ट्रांसमिशन नेटवर्क के खिलाफ प्रतिबंध लगा हैं जिसे चीन ने नकार दिया है.
बता दें कि ईरान पर प्रतिबंध लगाते हुए अमेरिका ने 2 लोगों, 13 कंपनियों और 2 तेल टैंकरों के नाम इस फेहरिस्त में डाले हैं. अमेरिकी ट्रेजरी विभागने दावा किया है कि यह लोगों और कंपनियों का एक नेटवर्क है, जो पूर्वी एशिया में ईरानी तेल और पेट्रोकेमिकल उत्पादों को बेचने में अहम् किरदार निभा रहे हैं.
चीन ने अमेरिका के इस क़दम पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इस ठुकरा दिया है. अमेरिका ने जिन कंपनियों को निशाना बनाया है वह यूएई, सिंगापुर, चीन और ईरान समेत कई अन्य जगह काम कर रही हैं जबकि जिन ऑयल टैंकर को निशाना बनाया गया है वह गबॉन और पनामा देश के झंडे के साथ अपना काम करते हैं.
चीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में अमेरिका की इन पाबडियों पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि चीन ने हमेशा संयुक्त राज्य अमेरिका के ग़ैर क़ानूनी और सरासर गलत प्रतिबंधों और न्यायिक इंटरफेयर का कड़ा विरोध किया है. हम चाहते हैं कि अमेरिका किसी भी मुद्दे पर पाबंदियों का सहारा लेने की अपनी गलत प्रथा को छोड़ दे और ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते को बहाल करने के लिए हो रही बात में सकारात्मक भूमिका निभाए.
चीनी डिप्लोमेट ने का कहा कि ईरान और चीन के बीच अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों के तहत कारोबार हो रहा है और इसका सम्मान किया जाना ज़रूरी है. ईरान अपने सभी अंतर्राष्ट्रीय सहयोगी देशों और कंपनियों के साथ इंटरनेशनल लॉ के अंतर्गत लेनदेन कर रहा है और इस से किसी तीसरे पक्ष को कोई नुकसान भी नहीं पहुँच रहा है. इस का सम्मान किया जाना चाहिए.