धर्म के आधार पर किसी भी तरह की हिंसा, भेदभाव स्वीकार्य नहीं: अरशद मदनी
देश के वर्तमान हालात पर चिंता जताते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि धर्म के नाम पर किसी भी तरह की हिंसा स्वीकार्य नहीं हो सकती। यह बात उन्होंने कार्यकारी समिति की बैठक में कही। मौलाना मदनी ने कहा कि धर्म इंसानियत, सहिष्णुता, प्रेम और एकता का संदेश देता है। इसलिए, जो लोग धर्म का इस्तेमाल नफरत और हिंसा फैलाने के लिए करते हैं, वे अपने धर्म के सच्चे अनुयायी नहीं हो सकते। हमें हर स्तर पर ऐसे लोगों की निंदा और विरोध करना चाहिए।
मौलाना मदनी ने कहा कि धर्मनिरपेक्ष लोग अगर अब भी नहीं जागे, तो बहुत देर हो जाएगी। आपसी भाईचारा और पारस्परिक एकता हमारी ताकत है। मौलाना मदनी ने अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी प्रकाश डाला, जिनमें वक्फ संशोधन बिल प्रमुख है। उन्होंने कहा कि यह संशोधन बिल नेक नीयत पर आधारित नहीं है, इसलिए देश का मुसलमान इसे स्वीकार नहीं कर सकता। वक्फ मुसलमानों का है और हम इसमें किसी तरह के सरकारी दखल को वक्फ के लिए विनाशकारी और एक बड़ा खतरा मानते हैं।
मौलाना मदनी ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के तत्वावधान में आज “संविधान की सुरक्षा” के उद्देश्यों से कार्यकारिणी सदस्यों को अवगत कराया और इस संकल्प का भी इज़हार किया कि इसके दूरगामी परिणाम होंगे। बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसमें देश की मौजूदा स्थिति, बढ़ती सांप्रदायिकता, उग्रवाद, कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति, अल्पसंख्यकों और मुसलमानों के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव, वक्फ संपत्तियों का संरक्षण, पूजा स्थलों, मस्जिदों और मकबरों के खिलाफ जारी सांप्रदायिक मुहिम, और फिलिस्तीन में इज़रायल की आक्रामक आतंकवादी गतिविधियों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की गई।
असम नागरिकता मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए जमीयत उलेमा असम और उसके अध्यक्ष मौलाना मुश्ताक़ अनव्र के प्रयासों की सराहना की गई। कार्यकारी समिति के सदस्यों ने कहा कि जमीयत अपनी स्थापना से लेकर अब तक देश में सांप्रदायिक एकता और सहिष्णुता के लिए सक्रिय और प्रयासरत रही है और देश में बसने वाले सभी धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक समुदायों के बीच प्रेम और भाईचारे के भावना को बढ़ावा देने के लिए हर स्तर पर कोशिश करती आई है।
गौरतलब है कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्यकारी समिति की बैठक केंद्रीय कार्यालय में मौलाना अरशद मदनी की अध्यक्षता में आयोजित हुई। मौलाना अरशद मदनी ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के संविधान की धारा 44 के तहत नए कार्यकाल के लिए अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला, और साथ ही मौजूदा कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया।
अब संविधान के अनुसार अध्यक्ष नई कार्यकारिणी का नामांकन करेंगे और कार्यकारिणी के परामर्श से महासचिव का नामांकन किया जाएगा। जल्द ही जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्यकारिणी की बैठक में उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। मुंबई बैठक में, जमीयत उलेमा संयुक्त पंजाब की अलगाव का अधिकार कार्यकारिणी को सौंप दिया गया था, और आज की बैठक में कार्यकारिणी ने पंजाब राज्य को एक स्वतंत्र राज्य जमीयत के रूप में स्वीकृति दे दी।