अंसारुल्लाह को आतंकी घोषित कर ग़ाज़ा नरसंहार को दबाने का प्रयास
अमेरिका ने यमन के प्रतिरोध आंदोलन “अंसारुल्लाह” को आतंकी संगठन घोषित कर एक बार फिर अपनी पक्षपातपूर्ण और दोहरी नीति का परिचय दिया है। अमेरिकी सरकार ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब यमन पिछले कई वर्षों से सऊदी अरब और उसके सहयोगियों द्वारा थोपे गए विनाशकारी युद्ध का सामना कर रहा है। इस युद्ध में न केवल लाखों यमनी नागरिक मारे गए, बल्कि देश की बुनियादी ढांचा पूरी तरह बर्बाद हो गया है। भूख, बीमारी और गरीबी से जूझ रहे यमन के लोगों के लिए अंसारुल्लाह एक उम्मीद की किरण है, जिसने हमेशा अपनी मातृभूमि की संप्रभुता और जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया है।
अमेरिका का यह दावा कि अंसारुल्लाह की गतिविधियां नागरिकों और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं, न केवल तथ्यहीन है, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। यमन के खिलाफ सऊदी अरब और उसके सहयोगियों द्वारा किए गए नृशंस हमलों में अमेरिका की प्रत्यक्ष भागीदारी और समर्थन किसी से छिपा नहीं है। यमन पर पिछले कई वर्षों से बमबारी, आर्थिक नाकेबंदी और मानवीय संकट ने इस देश को तबाह कर दिया है। लेकिन अमेरिका ने इन आक्रामक कार्रवाइयों को नजरअंदाज करते हुए अंसारुल्लाह जैसे प्रतिरोधी संगठनों को निशाना बनाया है, जो यमन और फ़िलिस्तीन की जनता के हक के लिए लड़ रहे हैं।
व्हाइट हाउस का यह कहना कि हूतियों की गतिविधियां क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक व्यापार को खतरा पहुंचा रही हैं, पूरी तरह से एकतरफा और राजनीति से प्रेरित है। असल में, यह वही अमेरिका है जो इज़रायल और सऊदी अरब जैसे आक्रमणकारी देशों का समर्थन करता है और उनकी कार्रवाइयों को वैधता प्रदान करता है। अंसारुल्लाह ने हमेशा आक्रमणकारियों के खिलाफ मजबूती से खड़ा होकर यमन की जनता की रक्षा की है। यह आंदोलन यमन की आजादी और स्वाभिमान का प्रतीक है, जो बाहरी हस्तक्षेपों को खारिज करता है।
अमेरिका ने यह भी दावा किया कि अंसारुल्लाह ने इज़रायल पर 300 से अधिक मिसाइलें दागी हैं और उनके अंतरराष्ट्रीय शिपिंग पर हमलों से वैश्विक महंगाई बढ़ गई है। यह बयान अमेरिका की उस पुरानी आदत का हिस्सा है, जिसमें वह प्रतिरोधी ताकतों पर बिना सबूत के आरोप लगाकर अपने क्षेत्रीय एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास करता है। जबकि वास्तविकता यह है कि यमन की जनता और अंसारुल्लाह अपने बचाव के लिए मजबूर हैं और उनकी सभी कार्रवाइयां आत्मरक्षा के तहत हैं।
अंसारुल्लाह को आतंकी ठहराने का निर्णय, सऊदी अरब और इज़रायल जैसे देशों के दबाव का नतीजा है, जो अपने क्षेत्रीय वर्चस्व को बनाए रखने के लिए यमन के प्रतिरोध को खत्म करना चाहते हैं। यह फैसला केवल यमनी जनता की मुश्किलों को बढ़ाएगा और इस क्षेत्र में पहले से मौजूद तनाव को और गहरा करेगा।
यमन की जनता और अंसारुल्लाह ने यह साबित किया है कि वे अपनी स्वतंत्रता और संप्रभुता के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। अमेरिका की यह कार्रवाई न केवल यमन के खिलाफ है, बल्कि यह एक वैश्विक संदेश है कि जो भी साम्राज्यवादी नीतियों का विरोध करेगा, उसे आतंकी करार दिया जाएगा। लेकिन इतिहास गवाह है कि सच्चाई और प्रतिरोध को दबाया नहीं जा सकता। यमन की जनता और अंसारुल्लाह इस अन्याय के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और एक दिन इस संघर्ष में विजय प्राप्त करेंगे।