अमेरिका का ‘वीटो’ मानवीय मौतों के प्रति उसकी लापरवाही और उदासीनता को दर्शाता है: कैलिमार्ड
एमनेस्टी इंटरनेशनल की महासचिव डॉ एग्नेस कैलामार्ड ने एक्स पर जारी एक बयान में कहा कि ऐसे समय में जब हर गुजरते पल के साथ मृतकों की संख्या बढ़ती जा रही है, अमेरिका का ‘वीटो’ मानवीय मौतों के प्रति उसकी लापरवाही और उदासीनता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने बहुत ही निर्लज्ज तरीके से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को अवरुद्ध करने के लिए अपने वीटो का इस्तेमाल किया है और इस तरह इसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है और वैश्विक स्तर पर शांति और सुरक्षा बनाए रखने की अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने में विफल रहा है।
डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के कार्यकारी निदेशक ऑरेल बेनोइट ने अपना गुस्सा व्यक्त करते हुए कहा है कि “इस प्रस्ताव पर वीटो करके, संयुक्त राज्य अमेरिका मानवता के खिलाफ मतदान करने में अकेला प्रतीत होता है।” उन्होंने कहा कि अमेरिका का वीटो ही उन मूल्यों के खिलाफ है जिनकी ख़ुदअमेरिका दुहाई देता है।
उन्होंने आगे कहा कि ग़ाज़ा में जारी अत्याचारों का समर्थन करके अमेरिका यह संकेत दे रहा है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों को मनमाने ढंग से लागू किया जा सकता है। ह्यूमन राइट्स वॉच ने अमेरिका के व्यवहार को इज़रायल के युद्ध अपराधों में सहभागी बताया है।
संगठन ने स्पष्ट रूप से पूछा है, “संयुक्त राज्य अमेरिका हमास के खिलाफ खुद की रक्षा करने के इज़रायल के अधिकार का हवाला देता है, लेकिन क्या बाइडेन का यह मानना है कि ग़ाज़ा में नागरिकों के नरसंहार से यह बचाव संभव है? या फिर यह एक और हमास बन जाए इसके लिए एक रास्ता बनाया जा रहा है ?
हमास, फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण और संयुक्त अरब अमीरात की प्रतिक्रिया
हमास नेता इज़्ज़त अल-रश्क ने कहा है कि अमेरिका ने “अनैतिक और अमानवीय” रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि ”वाशिंगटन ने हमारे लोगों के नरसंहार में इज़रायल की मदद की है। फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अध्यक्ष महमूद अब्बास ने संयुक्त राज्य अमेरिका की इस कार्रवाई को उकसावे वाली कार्रवाई बताया।
उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा युद्ध-विराम पर अमेरिकी कार्रवाई उकसावेपूर्ण और अनैतिक है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी कार्रवाई सभी मानवीय सिद्धांतों और मूल्यों का उल्लंघन है। इस बीच, प्रस्ताव पेश करने वाले संयुक्त अरब अमीरात ने वीटो किए जाने पर निराशा व्यक्त की। सऊदी विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान ने भी कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ सरकारें युद्ध-विराम को प्राथमिकता के रूप में नहीं देखती हैं।