सऊदी अरब के शाही परिवार के आलोचक रहे पत्रकार जमाल ख़ाशुकजी की हत्या के बाद दुनियाभर में सऊदी अरब के खिलाफ नफरत का माहौल बन गया था।
तुर्की के इंस्तांबुल स्थित सऊदी वाणिज्यिक दूतावास में उनको बर्बरता के साथ मौत के घाट उतार दिया गया था। लेकिन लगता है कि सऊदी अरब के शाही परिवार के लिए विश्व समुदाय की आलोचना या अपने खिलाफ बढ़ती नफरत कोई महत्व नहीं रखती तभी तो सऊदी सत्ता ने जमाल खाशुक़जी की हत्या के बाद दुनिया भर में हुई किरकिरी से भी कोई सीख नहीं ली है। अब भी सऊदी आलोचक मानवाधिकार कार्यकर्ता हों या समाज सुधारक या सऊदी आलोचक कोई बुद्धिजीवी सऊदी राज परिवार नित नए हथकंडों से उसे ठिकाने लगाता रहता है।
ताज़ा घटनाक्रम कनाडा में रह रहे वलीद हज़लूल का है। वह सऊदी जेल में बंद लजीन अल हज़लूल के भाई है। वलीद ने आरोप लगाते हुए कहा कि सऊदी दूतावास ने उन्हें ओटावा में अपने दूतावास में फंसा कर जमाल खाशुक़जी जैसे अंजाम को पहुँचाने की कोशिश की है।
उन्होंने कहा कि मोहम्मद बिन सलमान उनके पूरे परिवार को मिटाना चाहता है जब मैंने दूतावास से अपने वीज़ा को बढ़ाने की अपील की तो मुझे कहा गया कि दूतावास में उपस्थित होकर यह काम कराएं जबकि यह काम ऑनलाइन भी हो सकता है।
वलीद की बहन उल्या हज़लूल ने कहा कि यह यह उस देश की सोच और तर्कसंगतता नहीं है जो आधुनिक शहर बसाना चाहता जो अधिकारी भी यह समझता है कि वह देशवासियों को प्रताड़ित कर देश की सेवा कर रहा है उसे जल्द ही कठघरे में खड़ा होना होगा।
विख्यात अरब समाजिक कार्यकर्ता रशीद ने हज़लूल के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सऊदी शासन के अधिकारी सामूहिक रूप से लोगों को प्रताड़ित एवं दण्डित कर रहे हैं इसी लिए अरब नागरिकों में देश छोड़ कर विदेशों में शरण लेने की घटनाएं बढ़ रही हैं।