क्या यमन युद्धविराम की अवधि बढ़ाई जाएगी?
यमन में दो महीने से चल रहे युद्धविराम की अवधि आज रात समाप्त हो रही है। युद्धविराम की अवधि बढ़ाई जाएगी या नहीं इसपर अभी यमनी अंसारुल्लाह की टिप्पणी आनी बाक़ी है। और निश्चित रूप से यह यमनी अंसारुल्लाह ही हैं जो इसके विस्तार पर टिप्पणी करेंगे।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जब 8 वर्ष पहले सऊदी अरब ने यमन के विरुद्ध युद्ध छेड़ा था तो कहा जा रहा था कि यह युद्ध केवल कुछ दिनों में सऊदी अरब की जीत के साथ समाप्त हो जाएगा, लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया यमनियों का प्रतिरोध बढ़ता गया और अब हालत यह है कि सऊदी अरब इस दलदल में फंस चुका है, और यह अंसारुल्लाह है जिसने अपनी शक्ति से युद्ध के सभी समीकरणों को बदल कर रख दिया है। सामरिक और युद्ध की दृष्टि से अंसारुल्लाह शक्तिशाली स्थिति में है।
यमन पर सऊदी अरब के हमले के बाद से ही इस युद्ध को रोके जाने की मांग की जा रही थी, कई बार युद्धविराम की कोशिशें हुई और आखिरकार दो महीने पर सऊदी अरब गठबंधन और अंसारुल्लाह के बीच युद्ध विराम की घोषणा हुई हालांकि इस अवधि में भी सऊदी अरब ने बार बार इस समझौते का उल्लंघन किया।
ज्ञात रहे कि युद्धविराम समझौते के अनुसार, ईंधन और ईंधन ले जाने वाले 18 जहाजों को यमन में डॉक करने की अनुमति दी जानी थी, काहिरा, जॉर्डन और ओमान के लिए उड़ानें सनआ हवाई अड्डे से संचालित की गईं और इसके विपरीत, कैदियों का आदान-प्रदान किया गया। और समझौते के अनुसार यमन के अंदर आवाजाही को सामान्य बनाने के लिए लड़कों को खोला गया।
हालाँकि इन सभी शर्तों पर सऊदी अरब ने लगातार टालमटोल की और यह दिखाने की कोशिश की कि यह सऊदी अरब है जो स्वयं शर्तें रखेगा, लेकिन आखिरकार असांरुल्लाह की शक्ति के सामने झुकते हुए उसे शर्तों को स्वीकार करते हुए समझौते को मानना पड़ा।
सऊदी अरब ने अपनी तरफ़ से शर्तो का लगातार उल्लंघन जारी रखा, जहाज़ यमन के तट पर देरी से पहुँच रहे थे, विमानों को उड़ान की अनुमति मिलने में घंटों देरी हो रही थी, और कैदियों के आदान प्रदान में भी सऊदी अरब ने यमनी युद्धबंदियों के बदले सऊदी अरब में काम कर रहे यमनी नागरिकों को भेज दिया।
रास्तों को खोले जाने के संबंध में भी अभी हाल ही में दोनों पक्ष जार्डन में मिले और सऊदी पक्ष ने मांग रखी कि तअज़-सनआ हाइवे को बिना किसी शर्त के खोला जाए, जवाब में अंसारुल्लाह ने कहा कि यह तभी संभव है कि जब सभी रास्ते खोले जाएं। हालांकि इस मुद्दे पर दोनों पक्षों में सहमति नहीं बन सकी, लेकिन दोनों पक्ष फिर भी संघर्षविराम समझौते में आगे बढ़े।
यमनी राष्ट्रपति नेतृत्व परिषद (जिसका सऊदी अरब की तरफ़ से मुख्य कार्य अंसारुल्लाह से वार्ता और यमन की दलदल से सऊदी अरब की सम्मानपूर्वक वापसी है) ने भी आंतरिक मतभेदों के बावजूद अंसारुल्लाह के साथ सतर्कतापूर्व बर्ताव कर रहा है। इस परिषद को पता है कि शक्तिशाली स्थिति में होने के कारण अंसारुल्लाह पर किसी भी प्रकार की शर्तों को लादा नहीं जा सकता है, और किसी भी प्रकार की बड़ी और बेजा मांग संघर्षविराम को खतरे में डाल सकती है।
इस पूरे परिदृष्य को देखते हुए और यमन में मौजूद हालात के अंतर्गत ऐसा प्रतीत होता है कि आने वाले एक दो दिन में हम संघर्षविराम की समयसीमा को बढ़ाया जाता हुआ देख सकते हैं, क्योंकि एक तरफ़ जहां न सऊदी अरब में युद्ध लड़ने की शक्ति है और वह इस युद्ध से सम्मानपूर्वक वापसी चाहता है, वहीं दूसरी तरफ़ अंसारुल्लाह का यह मानना है कि यमन संकट का समाधान युद्ध नहीं राजनीतिक है।