तू भी बन जा अब तो “नीरज”, फेंक जहां तक भाला जाए: पूर्व IAS सूर्य प्रताप सिंह

तू भी बन जा अब तो “नीरज”, फेंक जहां तक भाला जाए: पूर्व IAS सूर्य प्रताप सिंह

बे रोज़गारी देश में अब ऐसा मुद्दा हो चुका है जो सबसे अहम बनता जा रहा है, पिछले कुछ सालों में रोज़गार का स्तर लगातार गिरता जा रहा है और बीते 2 सालों ने तो जनता से केवल छीना ही है, दिया कुछ भी नहीं।
ग़रीबी लगातार बढ़ती जा रही है, शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है, सभ्यता और भाईचारा ख़त्म होता जा रहा है, और दूसरी तरफ़ महंगाई बढ़ती जा रही है, नफ़रत का माहौल बढ़ता जा रहा है, झूठे और फ़र्जी वादे लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जनता को जुमलों के अलावा कुछ हाथ नहीं लग रहा है।
कुछ आवाज़ें इस दिशा में उठती भी हैं लेकिन सत्ता में मौजूद नेता मंत्री कोई न कोई ड्रामा ऐसा बना देते हैं कि असली मुद्दे दब जाते हैं और फिर वही जातिवादी विचारधारा, पाकिस्तान खालिस्तान हिंदुस्तान जैसी सोंच आंधी की तरह आती है और सारे मुद्दे उड़ा ले जाती है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कुछ और गिने चुने लोग ही हैं जिन्होंने पिछले कुछ सालों से लगातार सरकार से सवाल पूछे हैं लेकिन सरकार ने न केवल जवाब नहीं दिया बल्कि सवाल उठाने वालों के ख़िलाफ़ कुछ न कुछ कार्यवाही भी की।
ना इंसाफ़ी, अत्याचार, अहंकार, ग़रीबी, बे रोज़गारी, महंगाई और फ़र्जी जुमले झूठे वादे के ख़िलाफ़ बोलने वालों में एक नाम पूर्व IAS सूर्य प्रताप सिंह भी हैं जो पूरी निडरता और बेबाकी से उत्तर प्रदेश सरकार हो या केंद्र सरकार लगातार आलोचना कर रहे हैं और सरकार के झूठ का पर्दाफ़ाश कर रहे हैं।
आज इस रिटायर्ड IAS ऑफ़िसर ने अपनी कुछ पंक्तियों की कविता पोस्ट की जिसमें युवाओं की बे रोजगारों का दर्द साफ़ दिखाई दे रहा है, उन्होंने शायरी द्वारा कहा कि:
झूठ कहाँ तक पाला जाए?
ग़ुस्सा कहाँ निकाला जाए?

मैं भी खड़ा बेरोजगारों संग,
यह दर्द कैसे सम्भाला जाए?

अब वोट कुछ ऐसे डाला जाए,
मक्कारों का मुँह काला जाए।

तू भी बन जा अब तो ‘नीरज’
फेंक जहां तक भाला जाए।

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