खेत को रेत नहीं होने देंगे, मित्रों को भेंट नहीं देने देंगे: राहुल गांधी

खेत को रेत नहीं होने देंगे, मित्रों को भेंट नहीं देने देंगे: राहुल गांधी

जितना समय किसानों के आंदोलन को होता जा रहा है उतना ही कट्टर सरकार का रवैया होता जा रहा है, जबकि इतिहास गवाह है कि जब जब अन्नदाता ने सरकार के सामने मांगें रखी हैं सरकार ने माना है, क्योंकि किसान को केवल किसान नहीं अन्नदाता कहा जाता है।

पूरा देश जानता है पिछले काफ़ी महीनों से किसान सड़कों पर बैठे मोदी सरकार द्वारा लाए जाने वाले ऐसे क़ानूनों का विरोध कर रहे हैं जिन क़ानूनों के नतीजे में रोटियां तिजोरी में बंद होंगी, किसानों का कहना है कि कुछ भी हो जाए हम रोटियों को न तिजोरी में बंद होने देंगे न मॉल में बिकने देंगे।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कहा गया था कि किसानों की समस्या के समाधान में बस एक कॉल की दूरी है लेकिन यह दूरी अब 8 महीने की हो चुकी है, साथ ही BJP के नेताओं की ओर से किसानों के लिए खालिस्तानी और आतंकवादी जैसे शब्द के प्रयोग ने पूरे देश का दिल दुखाया है।

यह सवाल भी उठाया जा चुका है कि सरकार अगर किसानों का भला चाहती है तो फिर इन क़ानूनों जिससे किसानों के अनुसार उनका नुक़सान ही नुक़सान है उन्हें किसानों पर थोपने की कोशिश में क्यों लगी हुई है।

इसी मामले को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पार्लियामेंट में नरेंद्र मोदी की हम दो हमारे दो की नीति पर सवाल उठाए थे कि आख़िर क्यों मोदी जी केवल पूंजीपतियों की तिजोरी भरने पर लगे हुए हैं? अन्नदाता की बातों को क्यों अनसुना कर रहे हैं।

आज फिर एक बार राहुल गांधी ने किसानों की आवाज़ को और बुलंद करते हुए #FarmersProtest हैशटैग का प्रयोग करते हुए ट्वीट किया कि खेत को रेत नहीं होने देंगे, मित्रों को भेंट नहीं देने देंगे……. और ट्वीट के अंत में कहा कि कृषि विरोधी क़ानून वापस लो।

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