हम आभारी हैं कि संसद सुरक्षा में सेंध लगाने वाले अल्पसंख्यक नहीं थे: हरसिमरत कौर

हम आभारी हैं कि संसद सुरक्षा में सेंध लगाने वाले अल्पसंख्यक नहीं थे: हरसिमरत कौर

संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। सदन में जिस वक्त दो घुसपैठियों ने स्मॉक बॉम्ब चलाया, तो उस वक्त कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला ने हिम्मत दिखाते हुए उनके हाथों से उसे छीना। दरअसल, दोनों आरोपियों ने स्मॉक बम के जरिए सदन में अटैक किया और फिर चारों ओर धुआं फैल गया. इस दौरान काफी अफरा-तफरी भी मच गई।

हालांकि, सदन में मौजूद कुछ सांसद ऐसे थे, जिन्होंने इस विपरीत हालात में भी डरने के बजाय हौसले से काम लिया। इन्हीं में से एक गुरजीत सिंह औजला हैं। जब उन्होंने आरोपियों के हाथों के साथ स्मॉक बम को फेंका, तब जाकर बाकी के सांसद उन्हें पकड़ पाए। वहीं, अब संसद की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। दरअसल, आरोपियों को भले ही गिरफ्तार कर लिया गया है, मगर उनके धर्म को लेकर लगातार बयानबाजी का दौर चालू है। कुछ लोगों का कहना है कि अगर आरोपी अल्पसंख्यक समुदाय से होते, तो अब तक बवाल मच गया होता।

शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि यह सुरक्षा का गंभीर उल्लंघन है। यह कोई छोटी बात नहीं है। देश में लोग संसद को सबसे सुरक्षित स्थान मानते हैं। लेकिन अगर बेरोजगार युवा वहां ऐसा करते हैं तो सुरक्षा कहां है। रसिमरत कौर ने कहा, यह एक बड़ा उल्लंघन है और चिंता का बड़ा कारण है। यह एक नया मानदंड बन गया है कि यदि आप उनसे (केंद्र) सवाल पूछते हैं तो वे आपको बाहर निकाल देते हैं और निलंबित कर देते हैं।

हरसिमरत कौर ने आगे कहा कि हम बस आभारी हैं कि उनमें से कोई भी (आरोपी) अल्पसंख्यक समुदाय से नहीं था, वरना मामला कुछ और होता। यह पारित करने वाले भाजपा सांसद थे। अगर यह विपक्षी सांसद होता तो यह बात कुछ और ही बन जाती।

बता दें कि शुक्रवार को लोकसभा में खूब हंगामा देखने को मिला। विपक्षी दलों के सदस्य संसद सुरक्षा चूक मामले पर सदन में गृहमंत्री अमित शाह के वक्तव्य और चर्चा की मांग कर रहे थे। खुद कांग्रेस सांसद गुरजीत ने भी इस मुद्दे पर एक बहुत ही अहम बात कही है। एक निजी टीवी चैनल से बात करते हुए कांग्रेस सांसद औजला ने कहा कि अगर आरोपी मुस्लिम या सिख धर्म से होते, तो न जाने क्या हो गया होता। इसलिए मैं कहना चाहूंगा कि ऐसे लोगों को जाति-धर्म के चश्मे से नहीं देखना चाहिए।

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