वक़्फ़ संशोधित बिल किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं: अरशद मदनी

वक़्फ़ संशोधित बिल किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं: अरशद मदनी

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने वक़्फ़ संशोधन बिल को पूरी तरह खारिज करने का पुनः आश्वासन देते हुए कहा कि यह हमारा धार्मिक मामला है, और हम इस संशोधित बिल को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि यहां से उठने वाली आवाज सत्ता के गलियारों से टकराएगी और यह बताएगी कि मुसलमान वक़्फ़ संशोधन बिल को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकते, क्योंकि यह हमारा धार्मिक मामला है और इसमें हम किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं कर सकते।

आंध्र प्रदेश के कडपा में लाखों श्रद्धालुओं के विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि हमने संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में सभी सदस्यों की उपस्थिति में स्पष्ट किया था कि इस बिल में कई खामियां हैं। इसलिए हम ऐसे किसी बिल को स्वीकार नहीं करेंगे, जो वक़्फ़ की स्थिति और वक़्फ़ देने वालों की इच्छा को ही बदल दे। उन्होंने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद कोई राजनीतिक दल नहीं है, बल्कि यह एक धार्मिक संगठन है।

सत्ता में कौन है, कौन आता है, कौन जाता है, कौन चुनाव लड़ता है, कौन जीतता है और किसे हार मिलती है, इन सबमें जमीयत उलमा-ए-हिंद को आजादी के बाद से कोई रुचि नहीं रही है। हमारा उद्देश्य केवल इस देश में शांति, भाईचारा और एक-दूसरे के साथ प्रेमपूर्वक रहने का माहौल बनाना है। जब तक यह प्रेम और सद्भावना कायम रहेगी, यह देश चलता रहेगा और प्रगति करेगा। लेकिन यदि इस आपसी प्रेम को नष्ट किया गया, तो यह देश बर्बाद हो जाएगा।

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने कडपा में लगभग 5 लाख लोगों के विशाल जनसमूह पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि आजादी से पहले या बाद में यहां जमीयत उलमा-ए-हिंद का कभी कोई आयोजन नहीं हुआ। हमने दिल्ली में ही कहा था कि कडपा में कम से कम 5 लाख लोग आएंगे, और यहां के लोगों ने इसे सच कर दिखाया। उन्होंने कहा कि उद्देश्य केवल यह है कि इस राज्य के शासक यह देख लें कि उनके राज्य के मुसलमान क्या चाहते हैं।

मौलाना मदनी ने केंद्र सरकार के समान नागरिक संहिता के नारे पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यह सरकार अपने पैरों पर नहीं, बल्कि दो बैसाखियों पर खड़ी है। इनमें से एक बैसाखी नीतीश कुमार ने दी है और दूसरी चंद्रबाबू नायडू ने। इस ऐतिहासिक सभा के माध्यम से वे इन दोनों पार्टियों को यह बताना चाहते हैं कि देश के धर्मनिरपेक्ष संविधान को सबसे बड़ा खतरा है। इसका संरक्षण हम सभी की जिम्मेदारी है, क्योंकि जब संविधान सुरक्षित रहेगा, तभी देश और हम सब सुरक्षित रहेंगे।

मौलाना मदनी ने संविधान के 75 वर्ष पर संसद के दोनों सदनों में हुई चर्चा का जिक्र करते हुए सवाल किया कि क्या संविधान के सिद्धांतों का ईमानदारी से पालन हो रहा है? संविधान की प्रशंसा की जाती है, उसके नाम पर शपथ ली जाती है, लेकिन इसे अपने चरित्र और कार्यों में लागू नहीं किया जाता। संविधान का खुला उल्लंघन हम अपनी आंखों से रोज देखते हैं। उन्होंने कहा कि यदि संविधान के सिद्धांतों का पालन किया गया होता, तो आज हमें संविधान संरक्षण सम्मेलन आयोजित करने की आवश्यकता नहीं होती।

मौलाना मदनी ने चंद्रबाबू नायडू को संबोधित करते हुए कहा कि यदि संविधान को बचाना है, तो इस बिल को खारिज करना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज यहां से उठने वाली आवाज को पूरी दुनिया में सुना जा रहा है। सभा में मौलाना मदनी को 5 लाख हस्ताक्षरों वाला एक ज्ञापन भी प्रस्तुत किया गया, जिसे जल्द ही मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को सौंपा जाएगा।

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