वर्सोवा सी लिंक का नाम बदलकर ‘वीर सावरकर सेतु’ हुआ
महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने ऐलान किया है कि अब से बांद्रा वर्सोवा सी लिंक को ‘वीर सावरकर सेतु’ के नाम से जाना जाएगा। रविवार को सीएम शिंदे की नेतृत्व वाली सरकार ने नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर नए संसद भवन को नए भारत का प्रतीक बताया था।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह राज्य के लिए गर्व की बात है कि नए संसद भवन का उद्घाटन सावरकर जयंती के अवसर पर किया गया है। जानकारी के मुताबिक बांद्रा वर्सोवा सी लिंक के नाम को बदलने को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही थी। पहले भी कहा जा रहा था कि राज्य सरकार सी लिंक का नाम बदल सकती है।
बता दें कि बीते कल 28 मई के दिन नए संसद भवन का उद्घाटन किया गया था। इसी कड़ी में विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में भाग लेने से इनकार कर दिया था। विपक्षी दलों का कहना था कि नए संसद भवन की जरूरत थी क्या? वहीं कुछ दलों का कहना था कि संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए था जबकि कुछ ग़ैर एनडीए दलों ने भी संसद भवन के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लिया था।
बता दें कि नए संसद भवन के उद्घाटन के दौरान कई ब्राह्मण पुजारी संसद भवन में पहुंचे थे। इस दौरान पीएम मोदी को उन्होंने राजदंड सेंगोल भी दिया। सेंगोल को प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा स्पीकर के सीट के पास स्थापित किया है।
महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को वीर सावरकर जयंती के अवसर पर बड़ा ऐलान किया था। सीएम एकनाथ शिंदे ने घोषणा की कि बांद्रा वर्सोवा सी लिंक को अब से ‘वीर सावरकर सेतु’ के नाम से जाना जाएगा। रविवार 28 मई के दिन वीर सावरकर की 140वीं जयंती थी।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार ने रविवार को कहा कि वह नए संसद भवन के उद्घाटन को देखकर खुश नहीं हैं। उनका यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए संसद भवन का उद्घाटन करने के बाद आया है। शरद पवार ने कहा, “मैंने सुबह ये कार्यक्रम देखा। मुझे खुशी है कि मैं वहां नहीं गया।
वहां जो कुछ भी हुआ उसे देखकर मैं चिंतित हूं। क्या हम देश को पीछे की ओर ले जा रहे हैं? क्या यह कार्यक्रम, हवन, बहुधार्मिक प्रार्थना और ‘सेनगोल’ के साथ नई संसद का उद्घाटन, केवल सीमित लोगों के लिए था?”