‘ऑपरेशन सिंदूर, में अमेरिकी राष्ट्रपति का कोई रोल नहीं था: जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर इस बात को दोहराया कि, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भारत की सैन्य कार्रवाई को रोकने में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कोई रोल नहीं था।
बुधवार को राज्यसभा में ‘पहलगाम में आतंकवादी हमले के जवाब में भारत की मजबूत, सफल और निर्णायक ऑपरेशन सिंदूर’ पर अधूरी बहस की शुरुआत करते हुए जयशंकर ने कहा कि सैन्य कार्रवाई को रोकने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी। उन्होंने कहा, “22 अप्रैल से 16 जून के बीच दोनों नेताओं के बीच कोई टेलीफोन पर बातचीत नहीं हुई।”
विदेश मंत्री ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत की कूटनीतिक विफलता के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भारतीय कूटनीति बिल्कुल सही दिशा में थी। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा की गई। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स ने पहलगाम में आतंकवादी हमले के जिम्मेदारों और सीमा पार से होने वाली आतंकवाद की निंदा की, जबकि मुंबई आतंकवादी हमले के बाद ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में सीमा पार आतंकवाद का उल्लेख नहीं था। जयशंकर ने कहा कि जर्मनी, फ्रांस, रूस और यूरोपीय संघ ने भी पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा की है।
विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 25 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि यह उस समय हुआ जब पाकिस्तान सुरक्षा परिषद का सदस्य था और भारत इस वैश्विक संगठन से बाहर था।
विदेश मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सैनिकों की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने बहावलपुर और मीरडके में आतंकवादियों के ठिकानों को पूरी सटीकता के साथ नष्ट कर दिया। ये पाकिस्तान में आतंकवाद के गढ़ थे। इसके अलावा, पाकिस्तान के कई हवाई अड्डों को भी निशाना बनाया गया। यह ऑपरेशन सिंदूर की एक बड़ी सफलता थी।
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के सबूत मांगने वाले यूट्यूब पर जाएं और आतंकवादियों की मौत के बाद उनके दफनाने के दृश्य देखें। इससे यह पता चलेगा कि भारतीय सेना ने किस प्रकार की कार्रवाई की थी।
यह स्वीकार करते हुए कि पाकिस्तान और चीन करीब आ चुके हैं, जयशंकर ने कहा कि दोनों देश नजदीक आए हैं लेकिन एक दिन में नहीं। कांग्रेस सरकारों के दौरान हुए घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि, दोनों देशों के बीच पहले भी घनिष्ठ संबंध रहे हैं।
विदेश मंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को निशाना बनाते हुए कहा कि जब सिंधु जल समझौता हुआ, तो उन्हें भारतीय किसानों से ज्यादा पाकिस्तान के किसानों की चिंता थी। उस समय उन्होंने लोकसभा में कहा था कि इस जल समझौते से पश्चिमी पंजाब के किसानों को फायदा होगा, जो पाकिस्तान का हिस्सा था।
जयशंकर ने सभी पार्टी प्रतिनिधिमंडलों में सांसदों की भूमिका की सराहना की जो ऑपरेशन सिंदूर पर भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट करने के लिए विभिन्न देशों में गए थे। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल 33 देशों में भेजे गए थे, जिसमें शशि थरूर, रवि शंकर प्रसाद, संजय झा, सुप्रिया सुले और श्रीकांत शिंदे जैसे सांसदों ने भारत का दृष्टिकोण दुनिया के सामने बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया।


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