नई दिल्ली द्वारा रायटर्स को दिए गए बयान में बताया गया कि दिल्ली में स्थित अमेरिकी दूतावास ने गुरुवार को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी कृषि सुधारों से नाराज़ किसानों द्वारा एक महीने से चल रहे विरोध प्रदर्शन के मुद्दे पर बातचीत करने का आग्रह किया।
बताया जा रहा है कि इस आंदोलन के प्रदर्शनकारी 26 जनवरी को हुई गणतंत्र दिवस की परेड में घुस कर पुलिसकर्मियों से भिड़ गए थे। इसके साथ ही लाल किले पर कब्ज़ा करने वाले प्रदर्शनकारियों के चित्रों को अंतरराष्ट्रीय टेलीविजन पर प्रसारित किया गया जिसके बाद मोदी सरकार और किसानों के बीच टकराव बढ़ गया।
मोदी सरकार ने किसानों के साथ कई बार बातचीत की, लेकिन गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद ये बातचीत दुबारा शुरू नहीं की गई है।
भारत के “ब्रैड बास्केट” कहे जाने वाले राज्यों के किसानों का कहना है कि तीन नए कृषि कानूनों से उनको नुकसान होगा जबकि बड़ी कंपनियों को फायदा होगा।
लेकिन सरकार का कहना है कि इस सुधार से कृषि क्षेत्र में बहुत अच्छा निवेश होगा जो भारत की $ 2.9 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था का लगभग 15% है जबकि इसमें श्रमिक कार्य आधा है।
किसानों द्वारा राजधानी में बड़े पैमाने पर किए जा रहे विरोध प्रदर्शन के खिलाफ पुलिस तैनात है,और तीन मुख्य स्थलों पर बैरिकेड्स लगा दिए हैं।
आपको बता दें कि इस सप्ताह की शुरुआत में नई दिल्ली के कुछ इलाकों में इंटरनेट सेवाओं को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था।
इंटरनेट बंद करने पर सोशल मीडिया पोस्ट के जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि कुछ समूह देश के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन कर रहे थे जिसकी वजह से इंटरनेट सुविधा को बंद करना ज़रूरी था।
फार्म यूनियन के नेता नए कानून को खत्म करके सरकार की फसल मूल्य गारंटी योजना को कानूनी रूप देने और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कानूनी मामलों की वापसी के लिए बात कर रहे हैं। लेकिन किसान अपनी मांगो को बढ़ाते जा रहे हैं।
बुधवार को उत्तरी हरियाणा में एक रैली में जाट समुदाय के हजारों किसानों ने सरकार द्वारा भुगतान किए गए कृषि ऋणों को माफ करने और फसल की कीमतें बढ़ाने के लिए समर्थन दिया।
जाट किसानों के नेता केके राम कंडेला ने कहा कि अगर सरकार ने हमारी मांगों को स्वीकार नहीं किया, तो इसी तरह हजारों और किसान दिल्ली की ओर मार्च करेंगे।