ट्रंप के ‘इरादों’ से शेयर बाजार सन्न, 7 लाख करोड़ रुपए का नुकसान!
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद उनके पहले संबोधन ने वैश्विक व्यापारिक दुनिया को सन्न कर दिया। इसका असर घरेलू शेयर बाजार में भी मंगलवार को दिखा। नव-निर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति ने कनाडा और मेक्सिको के लिए व्यापारिक शुल्क में 25% की वृद्धि की घोषणा की है, जबकि ब्रिक्स देशों और यूरोपीय देशों के लिए भी टैक्स बढ़ाने की चेतावनी दी है।
ट्रंप के इन इरादों के चलते घरेलू शेयर बाजार में ज़ोमैटो, एनटीपीसी, अडानी पोर्ट्स, आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई और रिलायंस समेत 27 बड़ी कंपनियों में लगभग 11% की गिरावट आई। इससे मंगलवार को शेयर बाजार में भारी उथल-पुथल मच गई।
बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1235.08 अंक यानी 1.60% गिरकर 75838.36 अंकों पर बंद हुआ, जो 76,000 अंकों के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे है और पिछले साढ़े सात महीनों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। इससे पहले 6 जून को यह 75074.51 अंकों पर था। इसके अलावा, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 320.10 अंक या 1.37% गिरकर 23024.65 अंकों पर बंद हुआ।
बीएसई की बड़ी कंपनियों की तरह ही मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियों के शेयरों में भी भारी बिकवाली हुई। मिड-कैप 2% गिरकर 43167.39 अंकों पर और स्मॉल-कैप 1.94% गिरकर 51714.62 अंकों पर बंद हुआ।
7 लाख करोड़ रुपए का नुकसान!
मंगलवार को दोनों प्रमुख इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी में करीब 2% की गिरावट दर्ज की गई। बीएसई मिड-कैप और स्मॉल-कैप में भी 2% से अधिक गिरावट आई। घरेलू शेयर बाजार में बिकवाली की तेज़ी के कारण निवेशकों को 7.4 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ, क्योंकि बीएसई की कंपनियों का कुल बाज़ार पूंजीकरण 432 लाख करोड़ से घटकर 425.5 लाख करोड़ रुपए हो गया।
गिरावट के 5 प्रमुख कारण
ट्रंप की नीतियां: ट्रम्प ने कनाडा और मेक्सिको पर 1 फरवरी से पहले 25% शुल्क लगाने और ब्रिक्स एवं यूरोपीय देशों पर भारी शुल्क लगाने की चेतावनी दी है।
आम बजट: 1 फरवरी को आम बजट पेश होना है। निवेशकों की निगाहें इस ‘मेगा पॉलिसी इवेंट’ पर टिकी हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट पेश करेंगी।
डॉलर की मजबूती: अमेरिकी डॉलर की मजबूती और बॉन्ड यील्ड बढ़ने के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भारतीय बाजार में भारी बिकवाली कर रहे हैं। जनवरी में 20 तारीख तक एफपीआई ने 51,000 करोड़ रुपए के इक्विटी बेचे हैं।
कमजोर तिमाही परिणाम: इन दिनों तीसरी तिमाही के परिणाम जारी हो रहे हैं, जो निवेशकों को संतोषजनक नहीं लग रहे। पहले और दूसरे तिमाही के कमजोर परिणामों के बाद तीसरी तिमाही के नतीजे भी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं।
कमजोर कॉरपोरेट आय: भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में होने के बावजूद, कॉरपोरेट आय कमजोर रही है। आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती इसका मुख्य कारण है।
ग्लोबल मार्केट का मिला-जुला रुख:
ब्रिटेन के एफटीएसई में 0.15%, जापान के निक्केई में 0.32%, हांगकांग के हैंग सेंग में 0.91%, जर्मनी के डीएएक्स में 0.15% और चीन के शंघाई कंपोजिट में 0.05% की गिरावट दर्ज की गई।


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