टीएमसी का दावा, बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगा सकती है भाजपा

टीएमसी का दावा, बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगा सकती है भाजपा

पश्चिम बंगाल में अपनी पूरी ताक़त झोंकने के बाद भी केंद्र की सत्ता पर क़ाबिज़ भाजपा को विधान सभा चुनाव में शर्मनाक पराजय का सामना करना पड़ा था।

विधानसभा चुनाव बाद भी भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच प्रतिद्विंदिता और कटुता कभी कम होती नज़र नहीं आयी है। बंगाल में बवाल जारी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस पर भाजपा नेताओं पर हमले करने के आरोप आए दिन लग रहे हैं। इन सबके बीच तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं सांसद सुखेंदू शेखर रॉय ने दावा किया है कि बीजेपी पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए इसने तीन रणनीतियां बनाई हैं।

टीएमसी सांसद के मुताबिक, बीजेपी उत्तर बंगाल को राज्य के बाकी हिस्सों से अलग करने, अक्सर राज्य की कानून पर चिंता व्यक्त करने, सीबीआई और अन्य एजेंसियों का उपयोग और राज्यपाल को केंद्र और भाजपा पार्टी के एजेंट के रूप में उपयोग करने की योजना के साथ काम कर रही है।

तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं सांसद सुखेंदू शेखर रॉय ने दावा करते हुए कहा है कि भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की योजना बना रही है।

बता दें कि संविधान का आर्टिकल-356 कहता है कि अगर राष्ट्रपति को ऐसा लगता है कि राज्य सरकार संविधान के मुताबिक काम नहीं कर रही तो वो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं। इसके अलावा आर्टिकल-365 में भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की स्थिति का जिक्र है। इस आर्टिकल में कहा गया है कि अगर राज्य सरकार केंद्र के किसी संवैधानिक आदेश का पालन नहीं करती तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।

तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया है कि केंद्र की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के पास 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की योजना है। इकोनॉमिक्स टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में राज्यसभा सांसद और टीएमसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुखेंदु शेखर रॉय ने दावा किया कि इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए भाजपा ने एक चौतरफा रणनीति तैयार की है।

उन्होंने कहा कि भाजपा चुनाव में जीत के लिए देश के विभाजन को तैयार है। वह बंगाल को विभाजित करने की तैयारी कर रहे हैं। रॉय ने कहा, “केंद्रीय गृह मंत्री ने अपनी हालिया यात्रा के दौरान अपनी रैली के लिए उत्तर बंगाल को चुना। केंद्र सरकार देश को भीतर से विभाजित करने और राज्य के बाकी हिस्सों से उत्तर बंगाल को काटने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि वे जानते हैं कि ऐसा किए बिना वे जीत नहीं सकते। अगर ऐसा नहीं है तो पार्टी के विधायक केंद्रीय गृह मंत्री की मौजूदगी में अलग उत्तर बंगाल का मुद्दा मंच से कैसे उठाते?

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