धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर कानून नहीं होने चाहिए: अमित शाह
नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भाजपा के प्लान को बताया है। अमित शाह ने न्यूज एजेंसी पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में कहा है कि अगर भाजपा सत्ता में लौटती है तो सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद अगले पांच साल के भीतर पूरे देश के लिए समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी।
उन्होंने कहा, “देश की राज्य विधानसभाओं और संसद को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और एक कानून बनाना चाहिए। इसीलिए हमने अपने संकल्प पत्र में लिखा है कि बीजेपी का लक्ष्य पूरे देश के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना है। अगले पांच वर्षों के दौरान इसे लागू किया जाएगा।
अमित शाह ने आगे कहा कि संविधान सभा द्वारा हमारे लिए तय किए गए मार्गदर्शक सिद्धांतों में समान नागरिक संहिता शामिल है। उस समय भी के एम मुंशी, राजेंद्र बाबू, अंबेडकर जी जैसे कानून के विद्वानों ने कहा था कि धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर कानून नहीं होना चाहिए। समान नागरिक संहिता होनी चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भाजपा ने उत्तराखंड में एक प्रयोग किया है जहां उसकी बहुमत की सरकार है क्योंकि यह राज्यों और केंद्र का विषय है।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि बीजेपी ने उत्तराखंड में एक प्रयोग किया है, जहां उसकी बहुमत की सरकार है, क्योंकि यह राज्य और केंद्र का विषय है। यूसीसी 1950 के दशक से ही बीजेपी के एजेंडे में रही है और हाल ही में इसे बीजेपी शासित उत्तराखंड में लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि समान नागरिक संहिता एक बहुत बड़ा सामाजिक, कानूनी और धार्मिक सुधार है। उत्तराखंड सरकार की ओर से बनाए गए कानून की सामाजिक और कानूनी जांच होनी चाहिए। धार्मिक नेताओं से भी सलाह ली जानी चाहिए।
अमित शाह ने भीषण गर्मी में चुनाव कराए जाने पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “हम इस पर विचार कर सकते हैं। अगर हम एक चुनाव समय से पहले करा लें तो ऐसा किया जा सकता है और ऐसा किया जाना चाहिए। यह छात्रों की छुट्टियों का समय भी है। इससे बहुत सारी समस्याएं भी पैदा होती हैं। समय के साथ लोकसभा चुनाव धीरे-धीरे गर्मियों में स्थानांतरित हो गए।