यूएई ने सूडानी सेना पर दुनिया को गुमराह करने का आरोप लगाया

यूएई ने सूडानी सेना पर दुनिया को गुमराह करने का आरोप लगाया

यूएई ने हथियारों की तस्करी के मामले में अपनी जमीन पर किसी भी तरह के ग़लत इस्तेमाल से इनकार किया है और साफ कहा है कि, वह अपने क्षेत्र और हवाई रास्तों का इस्तेमाल सूडान में हथियार भेजने के लिए नहीं होने देगा। साथ ही उसने सूडानी सेना पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया है।

फार्स न्यूज़ इंटरनेशनल के अनुसार, यूएई सरकार ने दोहराया कि, वह सूडान को हथियार पहुँचाने के लिए अपनी जमीन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं देती। पोर्ट सूडान के लिए सैन्य सामान की कथित तस्करी की जांच पूरी होने के बाद यूएई ने कहा कि, उसकी नीति बिल्कुल स्पष्ट है कि उसकी जमीन, बंदरगाहों और हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल किसी भी पक्ष द्वारा हथियारों की तस्करी, खासकर सूडान के संघर्ष में शामिल गुटों को, नहीं होने दिया जाएगा।

यूएई के विदेश मंत्रालय ने बताया कि पोर्ट सूडान में सैन्य उपकरण भेजने की कोशिश नाकाम कर दी गई और जिम्मेदार लोगों को अदालत के हवाले कर दिया गया है। मंत्रालय के मुताबिक, यूएई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पालन और निगरानी के उच्चतम मानकों पर काम कर रहा है। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया कि यूएई अवैध हथियार तस्करी और संगठित अपराध को सिरे से खारिज करता है और वह क्षेत्रीय सुरक्षा व स्थिरता के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जारी रखेगा।

दूसरी ओर, यूएई ने सूडानी सेना को झूठ फैलाने वाला बताया और उसे सूडान की तबाही के लिए जिम्मेदार ठहराया। ‘अल-इमारात अल-यौम’ के अनुसार, जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में यूएई के स्थायी प्रतिनिधि जमाल अल-मश्रख ने कहा कि सूडानी सेना अंतरराष्ट्रीय मंचों का इस्तेमाल ग़लत दावे फैलाने के लिए करती है ताकि अपनी जिम्मेदारियों से बच सके। उन्होंने कहा कि अमेरिका के समर्थन और क्वाड समूह की कोशिशों के बावजूद सूडानी सेना ने युद्ध-विराम स्वीकार नहीं किया। अल-मश्रख ने युद्ध पूरी तरह रोकने और सूडानी लोगों की सुरक्षा पर जोर दिया।

यूएई ने फिर कहा कि वह स्वतंत्र नागरिक नेतृत्व वाली राजनीतिक प्रक्रिया का समर्थन करता है और दोहराया कि देशों का निर्माण बर्बादी से नहीं बल्कि शांति और संवाद से होता है। यूएई ने उन पक्षों की भी आलोचना की जो दारफुर और पोर्ट सूडान में बार-बार खून-खराबे की वजह बने हैं।

हालांकि, कई रिपोर्टें पहले से सामने आती रही हैं जिनमें कहा गया है कि, यूएई से सूडान को हथियारों की तस्करी आर्थिक और सैन्य नेटवर्क के जरिए होती है, जहां भुगतान का मुख्य ज़रिया सोना बताया जाता है, और तस्करी के रास्ते अमीरात की जमीन और बंदरगाहों से गुजरते हैं। इसको लेकर कई अंतरराष्ट्रीय संगठन और देश अबूधाबी पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह सूडान के युद्धरत गुटों को फंड और उपकरण मुहैया करा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय संगठनों और कुछ देशों का आरोप है कि यूएई की जमीन पर मौजूद कंपनियां RSF (रैपिड सपोर्ट फ़ोर्सेज़) को सोने के जरिए किए जाने वाले भुगतान को आसान बनाती हैं और इससे युद्ध लंबा खिंच रहा है। सूडान ने तो यूएई के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत में यह शिकायत भी दर्ज करवाई है कि, वह RSF को वित्तीय मदद देकर “मानवता के खिलाफ अपराधों में साझेदार” है। लेकिन यूएई लगातार कहता आया है कि उसकी नीति हथियार तस्करी रोकने और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करने की है।

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