परिवार के मुखिया को आंखों की शर्म नहीं खोनी चाहिए: प्रियंका गांधी
गोरखपुर: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बिहार में दिये गये भाषण पर तीखा पलटवार करते हुए कहा कि परिवार के मुखिया को कभी आंखों की शर्म नहीं खोनी चाहिए। गोरखपुर में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की मौजूदगी में ‘इंडिया’ गठबंधन की गोरखपुर की उम्मीदवार काजल निषाद और बांसगांव संसदीय क्षेत्र के उम्मीदवार सदल प्रसाद के समर्थन में आयोजित चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए प्रियंका गांधी ने भोजपुरी में ‘‘रऊवा सभे के राम-राम’’ बोलकर भीड़ का अभिवादन किया।
उन्होंने बिहार की एक चुनावी सभा में प्रधानमंत्री मोदी के दिये गये भाषण का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मोदी जी ने बिहार में भाषण दिया और विपक्ष के नेताओं के लिए ऐसे-ऐसे शब्द बोले जो देश के इतिहास में किसी प्रधानमंत्री ने नहीं बोले होंगे।’’ कांग्रेस महासचिव ने प्रसिद्ध संत बाबा गोरखनाथ की एक रचना ‘मन में रहिबा, भेद न करिबा बोलबा अमृतवाणी…” सुनाते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री पद का पूरा देश आदर करता है, हम भी आदर करते हैं।’’
उन्होंने जनता से सवाल करते हुए कहा, ‘‘आपकी आस्था, आपकी आशाएं, मोदी जी से एक समय में जुड़ी थीं, लेकिन क्या प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह पद की गरिमा रखें, पद की मर्यादा रखें। प्रधानमंत्री को सीधे लक्ष्य करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा, ‘‘मोदी जी आप देश के प्रधानमंत्री हैं, इतनी भी अपनी असलियत मत दिखाइए। आपने देश को अपना परिवार कहा है, देश आपके परिवार समान है।’’
बता दें कि, प्रधानमंत्री ने पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में एक रैली में विपक्ष पर तीखा हमला करते हुए कहा, ‘‘बिहार वह भूमि है जिसने सामाजिक न्याय की लड़ाई को एक नई दिशा दी है। मैं इसकी धरती पर यह घोषणा करना चाहता हूं कि मैं एससी, एसटी और ओबीसी के अधिकारों को लूटने और उन्हें मुसलमानों को देने की ‘इंडिया’ गठबंधन’ की योजनाओं को विफल कर दूंगा। वे गुलाम बने रह सकते हैं और अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए ‘मुजरा’ कर सकते हैं।’’
प्रियंका गांधी ने कहा, ‘‘यह महात्मा बुद्ध, संत कबीर, गुरु मत्स्येंद्र नाथ, गुरु गोरखनाथ की धरती है और यहां आकर मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है। यह धरती एक पवित्र धरती है, हमेशा यहां से प्रेम, न्याय, सद्भाव का संदेश पूरे देश में गया है। यही संदेश संविधान की नींव है, यही हमारे समाज, हमारी संस्कृति का आधार है और यही हमारे देश के लोकतंत्र की नींव है।’’