किसान आंदोलन के भारत समय सरकार ने ट्विटर बैन करने की धमकी दी थी: जैक डॉर्सी
नई दिल्ली: (एसओ न्यूज/एजेंसी) ट्विटर के सह-संस्थापक जैक डोर्सी ने भारत के संदर्भ में एक सनसनीखेज दावा किया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि ट्विटर को किसान आंदोलन के समय भारत द्वारा कई खातों को ब्लॉक करने की सिफारिश की गई थी। डोरसी के दावे के मुताबिक, भारत सरकार की आलोचना करने वाले कई ट्विटर हैंडल को ब्लॉक करने को कहा गया था।
अब विपक्ष इस मुद्दे को उठाकर मोदी सरकार पर हमलावर है। हालांकि अभी तक इस मामले पर सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन प्रश्न यह भी उठता है कि, जैक डोर्सी इतने समय तक ख़ामोश क्यों थे ? उन्होंने अचानक रहस्योद्घाटन क्यों किया ? किसान आंदोलन स्थगित होने के बाद भी इस पर कोई बयान क्यों नहीं दिया ? उनके इस बयान के पीछे उनकी क्या मंशा है इसका जवाब आने वाले दिनों में सरकार की तरफ़ से मिल सकता है। अलबत्ता मध्यप्रदेश चुनाव से पहले विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मुद्दा ज़रूर मिल गया है।
जैक डोर्सी भारत सरकार को लेकर यह दावा एक यूट्यूब चैनल ‘ब्रेकिंग पॉइंट्स’ को दिए एक इंटरव्यू के दौरान करते नजर आ रहे हैं। यह इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। पिछले साल ट्विटर के बोर्ड से इस्तीफा देने वाले जैक डोर्सी ने यूट्यूब चैनल को दिए एक इंटरव्यू के दौरान इस सवाल के जवाब में पूछा कि क्या उन्हें कभी विदेशी सरकारों के दबाव का सामना करना पड़ा? डोर्सी ने भारत का जिक्र करते हुए कई दावे किए।
डोरसी ने दावा किया कि भारत में किसान बिल के विरोध के दौरान सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों के खातों सहित ट्विटर हैंडल को ब्लॉक करने की कई सिफारिशें की गईं। डोरसी ने दावा किया कि इस दौरान धमकी दी गई कि हम भारत में ट्विटर को बंद कर देंगे या उसके अधिकारियों के घरों पर छापेमारी की जाएगी। यह सब भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हुआ।
अपने जवाब में जैक डोर्सी ने भारत के अलावा तुर्की का नाम लिया। उन्होंने कहा कि तुर्की ने भी भारत की तरह ट्विटर को धमकी दी है। इस देश की सरकार ने ट्विटर को बंद करने की धमकी भी दी थी। इसके कारण अक्सर सरकार के साथ अदालती लड़ाई हुई, जिसे ट्विटर ने जीत लिया।
गौरतलब हो कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों का देशभर के किसानों ने विरोध किया था और करीब एक साल से हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर जमा हो रहे थे। जिसके बाद नवंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा की।