हरिद्वार, तथाकथित धर्मसंसद को लेकर विश्वमीडिया में देश की किरकिरी

हरिद्वार, तथाकथित धर्मसंसद को लेकर विश्वमीडिया में देश की किरकिरी  हरिद्वार में हुई तथाकथित धर्मसंसद में मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण और उस पर पुलिस प्रशासन का ढुलमुल रवैया और भारत सरकार की चुप्पी को लेकर दुनिया भर में टिप्पणियों का दौर जारी है।

हरिद्वार में कथित धर्मसंसद नामक कार्यक्रम में मुसलमानों के खिलाफ हिंदुत्ववादी गुटों की ओर से भड़काऊ भाषण देने एवं हिंसा और नरसंहार के आह्वान पर सत्ताधारी दल की चुप्पी को लेकर पड़ोसी देशों से लेकर अमेरिका तक मीडिया में चर्चा का बाजार गर्म है। विश्व मीडिया ने सुर्खियों के साथ इस खबर को जगह दी है।

कथित धर्मसंसद के विवादित भाषणों के वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा बटोर रहे हैं। हरिद्वार में हुई इस कथित धर्म संसद से पहले राजधानी दिल्ली में भी हिंदू युवा वाहिनी ने एक कार्यक्रम आयोजित करते हुए मुसलमानों के खिलाफ हथियार उठाने की अपील करते हुए इस समारोह में मौजूद लोगों को शपथ दिलाई थी।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस खबर को प्रमुखता से जगह देते हुए शीर्षक दिया “हिंदू आतंकवादियों ने मुसलमानों की हत्या का आह्वान किया, भारत के नेता चुप”। न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी खबर में कहा इस सप्ताह सैकड़ों दक्षिणपंथी हिंदू कार्यकर्ताओं और संतों ने एक समारोह में एक साथ शपथ ली कि वह संवैधानिक रूप से एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र को हिंदू राष्ट्र में बदलेंगे चाहे इसके लिए मरने मारने की जरूरत पड़े।

हिंदू महासभा की नेता पूजा शकुन पांडे ने मुसलमानों को निशाने पर लेते हुए कहा “अगर हम में से 100 उन 20 लाख लोगों को मारने के लिए तैयार हैं तो हम जीतेंगे और भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाएंगे। हिंदू महासभा की इस नेता ने कहा कि मारने और जेल जाने के लिए तैयार रहो। खचाखच भरे ऑडिटोरियम में दक्षिणपंथी हिंदू संतों ने हिंदुओं से हथियार उठाने और मुसलमानों की हत्या करने की अपील की। इस कार्यक्रम में प्रभावशाली धार्मिक नेता भी थे जिनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्ताधारी पार्टी के साथ निकट संबंध हैं। और इसमें सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य भी शामिल थे।

इस कार्यक्रम पर मोदी ने चुप्पी साध रखी है जिस पर कुछ विश्लेषकों का कहना है यह उनके सबसे बड़े समर्थकों के लिए सुरक्षा के एक मौन संकेत की तरह है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी खबर में आगे कहा कि भारत की वह पुलिस जो सबूतों की कमी के बाद भी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और हास्य कलाकारों को जेल भेजने के लिए तैयार रहती है इस मामले में कार्रवाई करने में सुस्त है। अखबार ने पुलिस प्रशासन के साथ ही विपक्षी नेताओं की चुप्पी पर भी सवाल उठाते हुए कहा इस मामले में विपक्ष, राजनीतिक समूह ने भी चुप्पी बरकरार रखी है जो दिखाता है कि मोदी के 2014 में सत्ता में आने के बाद देश पर दक्षिणपंथी हिंदुओं ने अपनी पकड़ कितनी मजबूत कर ली है।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि यह भड़काऊ टिप्पणियां तब आ रही हैं जब भारत के कई राज्यों में मोदी की भाजपा सरकार सत्ता में है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चुनाव होने जा रहे हैं। मोदी जी इस सप्ताह उत्तर प्रदेश में आदित्यनाथ के लिए प्रचार करने में लगे हुए हैं। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ खुद समय-समय पर मुस्लिम विरोधी नफरतों को हवा देते रहे हैं।

चुनाव के समय मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के कई मामले भी सामने आ चुके हैं और विशेषकर मुसलमानों को कारोबारी रूप से निशाना बनाने की कोशिशें की जा रही हैं। दक्षिणपंथी हिंदू पिछले कुछ वर्षों से सोशल मीडिया के माध्यम से हिंसा को बढ़ावा देते रहे हैं लेकिन यह हिंसा अब सड़कों तक पहुंच गई है। हिंदू महिलाओं के धर्म परिवर्तन के आरोप लगाकर सड़कों पर मुस्लिम फल विक्रेताओं को पीटा जा रहा है । उनकी कमाई छीनी गई है और मुस्लिम कार्यकर्ताओं को आतंकवाद विरोधी कानून के माध्यम से डराया जा रहा है।

न्यूयॉर्क टाइम्स के अलावा खाड़ी देशों ने भी इस तथाकथित धर्म संसद पर कड़ा रुख अख्तियार किया है। कतर के अल जजीरा ने शीर्षक दिया “भारत: मुसलमानों के नरसंहार का आह्वान करने वाले हिंदू सम्मेलन पर आक्रोश”। अल जजीरा ने अपनी खबर में कहा वीडियो में दिख रहा है कि हिंदू धार्मिक नेता मुसलमानों के खिलाफ नरसंहार की अपील कर रहे हैं जिस पर आक्रोश फैला हुआ है और कार्यवाही की मांग की गई है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी के सदस्य भी शामिल थे। मोदी सरकार ने अब तक इस कार्यक्रम पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

अल जज़ीरा ने लिखा कि कार्यक्रम को संबोधित कर रही महिला स्पष्ट रूप से कह रही है कि भारतीयों को नाथूराम गोडसे की पूजा करनी चाहिए। जिसने 1948 में भारत के स्वतंत्रता के नायक महात्मा गांधी की हत्या की थी। वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ अलग-अलग तस्वीरों में दिखने वाले प्रबोध नाथ गिरी ने भी सफाई की अपील करते हुए कहा था कि मरने मारने के लिए तैयार रहो।

अमेरिकी मीडिया समूह ब्लूमबर्ग ने भी इस खबर को प्रमुखता से जगह देते हुए लिखा ‘धार्मिक कार्यक्रम में मुस्लिम विरोधी भाषण पर पुलिस की जांच’ ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा हरिद्वार में हिंदू धार्मिक सम्मेलन के वीडियो में नफरत बढ़ाने को लेकर भारतीय पुलिस ने जांच शुरू की। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में भगवा कपड़े धारण किए साधु मुसलमानों के जातीय संहार और हिंसा की वकालत कर रहे हैं।

पाकिस्तान के द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने भी इस खबर को प्रमुखता से जगह देते हुए लिखा “कार्यक्रम में शामिल एक संत ने कहा म्यांमार की तरह पुलिस, राजनेताओं, सेना और हर हिंदू को भारत में सफाई के लिए हथियार उठा लेना चाहिए। कोई और विकल्प नहीं बचा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की जमकर किरकिरी हो रही है।

मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच के कार्यकारी निदेशक केनेथ रोथ ने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट को ट्वीट करते हुए लिखा “हिंदू अतिवादी मुसलमानों की हत्या का आह्वान कर रहे हैं। पूरे भारत में बढ़ती मुस्लिम विरोधी भावना का जीता जागता उदाहरण। भारत के नेता चुप हैं।

वाशिंगटन के अरब गर्ल्स स्टेट्स इंस्टीट्यूट्स के सीनियर रेजिडेंट्स स्कॉलर हुसैन बिष ने ट्वीट करते हुए कहा मोदी के आधार का अहम हिस्सा : खचाखच भरे ऑडिटोरियम में जहां दक्षिणपंथी हिंदू संतों ने अन्य हिंदुओं को हथियार उठाने और मुसलमानों की हत्या करने के लिए कहा। इसमें प्रभावशाली धार्मिक नेता थे जिनके मोदी की सत्ताधारी पार्टी से करीबी संबंध हैं और कई तो पार्टी के सदस्य हैं।

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