केंद्र को लद्दाख की जनता की आवाज़ सुननी चाहिए: अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लद्दाख की जनता की अनदेखी के लिए केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने विशेष रूप से पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक का उल्लेख किया, जिनको हाल ही में दिल्ली की सीमा पर पुलिस ने रोका था। अखिलेश ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया और केंद्र सरकार पर सवाल उठाए कि वह उन आवाजों को क्यों नहीं सुन रही है, जो लद्दाख जैसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण क्षेत्रों से उठ रही हैं।
अखिलेश यादव ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से कहा, “जो लोग शांति से डरते हैं, वे वास्तव में अंदर से डरे हुए लोग होते हैं।” उनका इशारा स्पष्ट रूप से उन सरकारी नीतियों और कार्यवाहियों की ओर था, जो जनहित की आवाज़ों को दबाने की कोशिश करती हैं। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार पर्यावरण के मुद्दों और लद्दाख की जनता के अधिकारों की अनदेखी करके कुछ भी हासिल नहीं कर पाएगी।
सोनम वांगचुक, जो लद्दाख के पर्यावरण और वहां के लोगों के हितों के लिए लंबे समय से आवाज़ उठाते रहे हैं, को दिल्ली में पुलिस द्वारा रोके जाने पर अखिलेश यादव ने गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने इसे केंद्र सरकार की तानाशाही सोच और असंवेदनशीलता का प्रतीक बताया। उनके अनुसार, यह घटना इस बात की ओर संकेत करती है कि केंद्र सरकार जनता के मुद्दों से कितनी दूर होती जा रही है और अपनी नीतियों में कितना राजनीतिक बहरेपन का शिकार हो रही है।
अखिलेश ने यह भी कहा कि लद्दाख जैसे सीमावर्ती और संवेदनशील क्षेत्र के मुद्दों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है, क्योंकि वहां की जनता न सिर्फ पर्यावरणीय समस्याओं से जूझ रही है, बल्कि विकास और राजनीतिक अधिकारों की भी मांग कर रही है। उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि अगर इन मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इसे जनता की आवाज़ को न सुनने वाली राजनीतिक बहरी सरकार के रूप में देखा जाएगा।
सपा अध्यक्ष ने इस पूरे घटनाक्रम को लद्दाख के लोगों के अधिकारों और उनकी आवाज़ को दबाने का एक प्रयास बताया। उनका कहना है कि सरकार को ऐसे शांतिपूर्ण आंदोलनों को समर्थन देना चाहिए, बजाय इसके कि उन्हें रोका जाए।