स्वामी प्रसाद की दो टूक, राजमहल पर भारी पड़ेगा ज़मीनी नेता

स्वामी प्रसाद की दो टूक, राजमहल पर भारी पड़ेगा ज़मीनी नेता

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को जोरदार झटका देते हुए भाजपा में शामिल होने वाले आरपीएन सिंह को लेकर सपा के स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी चर्चा का विषय बनी हुई है।

बीजेपी छोड़कर चुनाव से ठीक पहले भाजपा सपा का दामन थामने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने साफ संकेत दिए हैं कि अगर उन्हें पडरौना सीट पर आरपीएन सिंह से चुनौती मिलती है तो वह मुकाबले के लिए तैयार है।

इससे पहले अटकले लगाई जा रही थी कि आरपीएन सिंह के पडरौना से भाजपा उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने की सूरत में स्वामी प्रसाद मौर्य किसी सुरक्षित सीट की तलाश में है। लेकिन यहां एक टीवी चैनल से बात करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि जमीनी नेता एक बार फिर राजमहल पर भारी पड़ेगा।

कहा जा रहा है कि कांग्रेस छोड़कर आज ही भाजपा का दामन थामने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह को सत्ताधारी दल स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ मैदान में उतार सकता है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि आरपीएन सिंह तो राजा साहब हैं। राज महलों में रहने वाले हैं और उन्हीं के बीच उठते बैठते रहे हैं। अतः यह लड़ाई जमीनी नेता बनाम राज महल की होगी। उन्होंने कहा कि पहले विधानसभा चुनाव में लोगों ने राज महल को नकारा है।

उत्तर प्रदेश सरकार में 4 साल 11 महीने मंत्री रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह चुनाव पिछड़ा विरोधी, दलित विरोधी, किसान विरोधी भाजपा के चेहरे पर होगा। छुट्टा जानवरों के आतंक, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे पर चुनाव होगा।

आरपीएन सिंह के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि अगर आरपीएन सिंह कांग्रेस में ही रहते तो उनका ज्यादा महत्व होता। भाजपा में पिछड़े वर्ग की कोई पूछ नहीं है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि पडरौना के हर इलाके के लोग मुझे जानते हैं। वह कभी भी मुझ तक पहुंच सकते हैं। जनता हमारे साथ है। अगर पडरौना सीट से एक आम आदमी को भी सपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा जाएगा तो वह आरपीएन सिंह को हरा देगा। आरपीएन सिंह राजा साहब हैं और आम जनता तक पहुंच नहीं रखते। उनका दरबार जिस स्थान पर लगता है वहां उनकी इजाजत के बिना परिंदा भी पर नहीं मार सकता।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि मेरे लिए उत्तर प्रदेश का कोई जिला या विधानसभा अपरिचित नहीं है। मैंने कभी रायबरेली में जाकर बीएसपी का खाता खोला था। पडरौना में भी मैंने पार्टी को जीत दिलाई थी। वहीँ बदायूं में भी 30 साल बाद भाजपा का खाता मैंने ही खोला था। आरपीएन सिंह एक वक्त कांग्रेस के बड़े नेता थे और उनके मंत्री रहते हुए भी कांग्रेस यहाँ विधानसभा चुनाव हार गई थी। उनकी माता ने भी चुनाव लड़ा था उनकी जमानत भी ज़ब्त हो गई थी।

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