चारों ओर से घिरे अडानी केवल भारत में सुरक्षित हैं: सुप्रिया श्रीनेत

चारों ओर से घिरे अडानी केवल भारत में सुरक्षित हैं: सुप्रिया श्रीनेत

अडानी रिश्वत मामले में कांग्रेस लगातार सवाल उठा रही है। बुधवार को कांग्रेस की सीनियर नेता सुप्रिया श्रीनेत ने यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इस दौरान कहा कि अमेरिका में वारंट जारी होने के बाद दुनिया भर में अडानी के क़ारनामों का डंका बज रहा है। इसी तरह फ्रांसीसी कंपनी टोटल एनर्जी ने अडानी ग्रुप से भविष्य में किसी भी निवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा अमेरिकी एजेंसी अडानी समर्थित श्रीलंका पोर्ट प्रोजेक्ट के लिए 550 मिलियन डॉलर के क़र्ज़ का फिर से आकलन कर रही है और श्रीलंका स्वयं अडानी पावर समझौते की समीक्षा कर रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि इज़रायल के हाइफ़ा बंदरगाह पर अडानी को कर्मचारियों के विवाद और विरोध का सामना करना पड़ रहा है। केन्या सरकार ने अडानी की पावर और हवाई अड्डे के सौदे को रद्द कर दिया। यही नहीं, बांग्लादेश की अदालत ने अडानी के बिजली के सौदे की जांच का आदेश दिया है, ऑस्ट्रेलिया में अडानी के खिलाफ पहले ही ज़बरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं। स्विट्ज़रलैंड ने अडानी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी की जांच के तहत कई स्विस बैंक खातों में 2617 करोड़ रुपये फ्रीज़ कर दिए थे। अमेरिका पहले ही धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी के आरोप में वारंट जारी कर चुका है।

सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि चारों ओर से घिरे अडानी केवल भारत में सुरक्षित हैं, क्योंकि यहां नरेंद्र मोदी की वजह से कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। जांच एजेंसियां चुप्प रहकर तमाशा देख रही हैं, वरना इन आरोपों के आधार पर उन्हें अब तक गिरफ्तार कर लिया जाना चाहिए था। इसलिये आज सुबह अडानी का सिस्टम परेशान हो गया और कुछ झूठे शगूफ़े छोड़ दिए। ये उनकी मायूसी और गंभीर आरोपों से बचने की नाकाम कोशिशों के अलावा कुछ नहीं हैं, लेकिन ये बेवकूफाना तर्क अमेरिकी एजेंसियों और न्याय विभाग द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों को धो नहीं सकते।

एक सीनियर वकील जो क़ानूनी कपड़े पहनकर अडानी के बचाव में जल्दी से आए और सुबह-सुबह बताया कि अमेरिकी कोर्ट के दस्तावेज़ में एक और अकाउंट 5 में अडानी या उनके भतीजे का नाम नहीं है। उनका कहना था कि अकाउंट 1 विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (FCPA) का उल्लंघन का मामला है, जिसमें अडानी का नाम नहीं लिया गया है। वे बड़ी चतुराई से यह बताना भूल गए कि अमेरिकी FCPA किसी विदेशी नागरिक पर लागू नहीं होता, तो अडानी का नाम कैसे सामने आ सकता है।

ऐसा लगता है कि गलत जानकारी देने वालों ने ग्रैंड जूरी के आरोप नहीं पढ़े हैं, जिसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि “गौतम अडानी, सागर अडानी और अन्य ने भारत में रिश्वत देने का वादा करने की साज़िश की और रिश्वत के बदले सरकार भारत की पावर कंपनियों को केंद्रीय ISEC IPSU के साथ बिजली खरीद समझौते करने पर मजबूर करेगी”। इसमें यह भी कहा गया है कि उसने भारतीय सरकार के अधिकारियों को लगभग 2029 करोड़ रुपये (लगभग 265 मिलियन डॉलर) की रिश्वत दी और राज्य की पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों (पैरा 49) से PSS को लागू करने के लिए और रिश्वत देने का वादा किया।

अडानी भारत में पूरी तरह से सुरक्षित हैं, यहां उनसे कोई सवाल नहीं किया जाएगा, संसद में बहस तो छोड़िए, उनका नाम लिया जाएगा तो सदन स्थगित कर दिया जाएगा, चेयरमैन ऊँची आवाज में कहेंगे कि रिकॉर्ड पर कुछ नहीं चलेगा, पूरी बीजेपी उनका बचाव करेगी, सभी जांच एजेंसियां चुप रहेंगी, उनके लिए कानून बदले जाएंगे, पूरी सरकार और सभी मंत्री अडानी के लिए लॉबिंग करने के लिए दौड़ेगे। क्योंकि राजा की जान इस तोते अडानी में है।

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