शंभू बॉर्डर बंद करने पर हरियाणा सरकार को सुप्रीम फटकार
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को शंभू बॉर्डर बंद करने के मामले में कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि एक राज्य सरकार कैसे किसी नेशनल हाईवे को बंद कर सकती है। यह मामला तब सामने आया जब शंभू बॉर्डर पर रास्ता बंद होने के कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
हरियाणा सरकार ने शंभू बॉर्डर को सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया था, जिससे पंजाब और हरियाणा के बीच यात्रा करने वाले लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। शंभू बॉर्डर पर ट्रैफिक जाम और परिवहन सेवाओं में बाधा उत्पन्न होने से आम जनता में रोष उत्पन्न हो गया था। कई लोग इस अचानक किए गए फैसले से नाराज थे और उन्होंने इसे अव्यवहारिक करार दिया था।
कोर्ट की सख्ती
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने हरियाणा सरकार की इस कार्रवाई पर गंभीरता से सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि नेशनल हाईवे देश की आर्थिक और सामाजिक धारा को बनाए रखते हैं और इन्हें बंद करना उचित नहीं है। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की पीठ ने हरियाणा सरकार से इस फैसले का आधार पूछा और यह स्पष्ट करने को कहा कि किस कारणवश उन्होंने बॉर्डर को बंद किया।
सरकार का पक्ष
हरियाणा सरकार ने अपने बचाव में कहा कि सुरक्षा कारणों से बॉर्डर को बंद करना पड़ा था। सरकार के वकील ने तर्क दिया कि कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण यह कदम उठाया गया, जिससे राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखी जा सके। लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को अपर्याप्त मानते हुए कहा कि इस तरह के कदम उठाने से पहले जनता की सुविधा और राष्ट्रीय मार्गों की महत्ता को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि लोगों की परेशानियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और सरकार को इस मामले में सतर्कता बरतनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि इस तरह के निर्णय केवल उचित कारण और प्रक्रिया के तहत ही लिए जाने चाहिए।
जनहित में फैसला
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह साफ हो गया है कि नेशनल हाईवे को बंद करने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय को उचित कारण और प्रक्रिया के तहत ही लिया जाना चाहिए, ताकि आम जनता को किसी भी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े। यह फैसला न केवल हरियाणा सरकार बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है कि सुरक्षा कारणों से भी नेशनल हाईवे को बंद करने का निर्णय सोच-समझकर और कानूनी प्रक्रिया के तहत ही लिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के इस सख्त रवैये से यह स्पष्ट हो गया है कि देश के नागरिकों की सुविधा और उनके अधिकारों की रक्षा करना न्यायपालिका की प्राथमिकता है। सरकारों को अपने फैसलों में पारदर्शिता और जवाबदेही का पालन करना होगा ताकि आम जनता को अनावश्यक परेशानियों से बचाया जा सके।