बिहार में आरक्षण सीमा पर पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
पटना: बिहार में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। सरकार ने आरक्षण कानून में संशोधन को खारिज करने संबंधी पटना हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। सितंबर महीने में इस मामले पर सुनवाई हो सकती है। हालांकि, पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है।
पटना हाईकोर्ट का फैसला फिलहाल बना रहेगा: सुप्रीम को
बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बड़ा बड़ा झटका लगा है। बिहार में आरक्षण को बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के खिलाफ पटना हाईकोर्ट का फैसला फिलहाल बना रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक से मना कर दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि वह सितंबर में मामले पर विस्तृत सुनवाई करेगा। बता दें कि, पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के आरक्षण बढ़ाने के फैसले को रद्द कर दिया था। फिर राज्य सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।
आपको बताते चलें कि, बिहार में आरक्षण को लेकर संशोधन जातिगत सर्वेक्षण के बाद किए गए थे, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी को राज्य की कुल जनसंख्या का 63 प्रतिशत बताया गया था, जबकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की हिस्सेदारी 21 प्रतिशत से अधिक बताई गई थी। इसके बाद राज्य सरकार के तरफ से आरक्षण का दायरा बढ़ा दिया गया था। लेकिन, पटना हाई कोर्ट ने इसे उचित नहीं मानते हुए इस पर रोक लगा दिया था।
बिहार सरकार ने आरक्षण सीमा 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी किया था
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के उस फैसले को रद्द किया था, जिसमें सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में एडमिशन के लिए पिछड़े वर्गों के आरक्षण में इजाफा किया गया था। बिहार सरकार ने पिछड़े वर्ग, एससी और एसटी समाज से आने वाले लोगों के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में एडमिशन के लिए मिलने वाले आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी किया था।
बिहार सरकार की तरफ से जब आरक्षण की सीमा बढ़ाई गई थी तो इस संबंध में पटना हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं, जिसमें राज्य के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने मार्च में इस संबंध में दायर रिट याचिकाओं के एक बैच पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद 20 जून को हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को बड़ा झटका देते हुए सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में राज्य द्वारा निर्धारित 65 फीसदी आरक्षण सीमा को रद्द कर दिया था।