सुप्रीम कोर्ट ने दिया सरकार को आदेश, तोड़फोड़ की कार्यवाही हो कानून के अनुसार
उत्तर प्रदेश में प्रशासन की ओर से बिना किसी जांच पड़ताल के बिना जुर्म साबित हुए लोगों के घरों पर चल रहे बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए जमीयत ओलामा-ए-हिंद ने याचिका दायर की थी इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है।
उत्तर प्रदेश में प्रशासन की तरफ से बेगुनाह ओर बिना जांच के चल रहे बुलडोजर और तोड़ फोड़ की कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए जमीयत ओलामा-ए-हिंद की तरफ से याचिका दायर की गई थी जिस मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि सरकार तीन दिनों के भीतर इस का जवाब दे। फिलहाल कोर्ट ने बुलडोजर रोकने के लिए कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी। आज जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
सी यू सिंह ने कहा कि यूपी में जो इस समय चल रहा है वह पहले कभी नहीं देखा गया है। यहां तक कि इमरजेंसी के दौरान भी ऐसा नहीं हुआ। लोगों के घरों को पहले अवैध ठहरा जाता है फिर बिल्डिंग ढहा दी जाती हैं। आरोपी के घर गिराए जा रहे है, यह सभी घर पक्के है इन मे से कई तो 20 साल से भी पुराने हैं। बहुत से घर दूसरे सदस्यों के नाम पर है लेकिन बिना जांच किरे गिराए जा रहे हैं।
वहीं यूपी सरकार की तरफ से SG तुषार मेहता ने कहा कि जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है किसी प्रभावित ने नही और ये एक राजनीतिक दल ने याचिका दाखिल की थी। यूपी प्रशासन की ओर से हरीश साल्वे भी पेश किया जिन्होंने कोर्ट में कहा कि हम ने कोई कार्यवाही बिना नोटिस के नही की है प्रयागराज में 10 मई को नोटिस दिया गया था। दंगो के पहले नोटिस दिया गया था। 25 मई को ध्वस्तीकरण का आदेश जारी किया गया था। कानपुर में भी नोटिस दिया गया था। अगस्त 2020 को नोटिस दिया गया था और उसके बाद फिर नोटिस दिया गया।