सुप्रीम कोर्ट “तारीख़ पे तारीख़” वाली अदालत नहीं बन सकता: चंद्रचूड़

सुप्रीम कोर्ट “तारीख़ पे तारीख़” वाली अदालत नहीं बन सकता: चंद्रचूड़

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने आज सुप्रीम कोर्ट के वकीलों से कहा कि वे नए मामले लंबित न करें क्योंकि वे सुप्रीम कोर्ट को तारीख़ की अदालत नहीं बनने देना चाहते हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कार्यवाही की शुरुआत में वकीलों द्वारा लंबित नए मामलों का मुद्दा उठाया और कहा कि पिछले 2 महीनों में लंबित मामलों की संख्या 3 हजार 688 तक पहुंच गई है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश, जो कार्यवाही के दौरान जस्टिस जेबी पुर्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा के साथ बैठे थे, ने वकीलों को संबोधित किया और उनसे मामले को स्थगित करने वाली दलीलें न देने को कहा। डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, मैं नहीं चाहता कि सुप्रीम कोर्ट “तारीख़ पे तारीख़” वाली अदालत बन जाए।

बता दें कि ‘तारीख पर तारीख‘ मशहूर बॉलीवुड फिल्म ‘दामिनी’ में फ़िल्म अभिनेता और भाजपा सांसद, सनी देओल द्वारा बोला गया मशहूर डायलॉग है। सीजीआई ने वकीलों से कहा कि वकीलों की मदद से सुप्रीम कोर्ट में नए मामलों की सुनवाई के समय में स्पष्ट रूप से कमी आ रही है।

उन्होंने कहा कि बेंचों के समक्ष कार्यवाही के बाद वकील उन मामलों को स्थगित करने की मांग करते हैं जिनका बाहरी दुनिया पर बुरा प्रभाव पड़ता है। डीवाई चंद्रचूड़ ने वकीलों से कहा, ”मैं देख रहा हूं कि नए मामले दर्ज करने और सुनवाई में लगने वाले समय में कमी आई है। हम SCBA (सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन) और SCAORA (सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन) के समर्थन के बिना अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर सकते।

उन्होंने नए मामलों के स्थगन को लेकर कहा कि हमारे पास 3 नवंबर के लिए 178 स्थगन मामले हैं। अक्टूबर से प्रतिदिन 150 स्थगित मामले हमारे पास सुनवाई के लिए उपलब्ध हैं और सितंबर से अक्टूबर के बीच स्थगित मामलों की संख्या बढ़कर 3,688 हो गई है।

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