बजट में ‘बिहार और आंध्र प्रदेश’ पर विशेष मेहरबानी से, अन्य राज्यों में नाराजगी

बजट में ‘बिहार और आंध्र प्रदेश’ पर विशेष मेहरबानी से, अन्य राज्यों में नाराजगी

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा प्रस्तुत किए गए केंद्रीय बजट पर संतोष केवल बीजेपी नेताओं और उनके सहयोगियों ने जताया है, लेकिन नाराज़गी पूरे देश में पाई जा रही है। खास तौर पर बजट में आंध्र प्रदेश और बिहार को विशेष पैकेज देने और अन्य राज्यों की जायज़ मांगों को नजरअंदाज करने पर इस बजट को भेदभावपूर्ण बजट कहा जा रहा है। इससे न सिर्फ विपक्ष बुरी तरह नाराज़ है, बल्कि कई राज्यों ने बजट के संबंध में नाराज़गी और मायूसी का इज़हार किया है। आलम यह है कि बजट से असंतुष्ट विपक्षी दलों के कम से कम चार मुख्यमंत्री विरोध स्वरूप 27 जुलाई को होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेंगे। वहीं, संसद में बुधवार को विपक्षी दलों ने सदन के साथ-साथ सदन के बाहर भी जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया और बजट को सही करने और सबका ख्याल रखने की मांग की।

विपक्षी दलों का विरोध और वॉकआउट
विपक्ष के ‘इंडिया गठबंधन’ की सहयोगी पार्टियों के सांसदों ने बुधवार को संसद परिसर में केंद्रीय बजट में विपक्षी दलों की सरकार वाली राज्यों के साथ किए जाने वाले भेदभाव और अन्याय के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और कई अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने भाग लिया। विपक्षी सांसदों ने सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा कि यह बजट जनविरोधी है। बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला, बल्कि उन्हें केवल विशेष पैकेज देकर टरका दिया गया, लेकिन अन्य राज्यों के साथ जो व्यवहार किया गया वह हम कतई बर्दाश्त नहीं कर सकते।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि यह मोदी जी का कुर्सी बचाओ बजट, सत्ता बचाओ बजट और बदला लो बजट है। इस बजट से 90% राज्यों और 90% से अधिक जनता को अलग-थलग कर दिया गया है। मोदी सरकार का बजट सिर्फ बीजेपी का सत्ता बचाओ बजट बनकर रह गया है। इस प्रदर्शन में सोनिया गांधी भी शामिल हुईं। हालांकि उन्होंने मीडिया से बातचीत नहीं की, लेकिन उनकी उपस्थिति से पार्टी में काफी जोश आ गया था। अखिलेश यादव ने विरोध के दौरान खुद नारे लगाए और मीडिया से कहा कि इस बजट में देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश को भी नजरअंदाज कर दिया गया जोकि हैरान करने वाला है। ध्यान रहे कि मंगलवार शाम खड़गे के आवास पर ‘इंडिया’ गठबंधन की पार्टियों के नेताओं की बैठक में इस मुद्दे पर संसद के बाहर और अंदर विरोध करने का फैसला किया गया था।

राज्यसभा में विरोध और वॉकआउट
इससे पहले कांग्रेस की अगुवाई में इंडिया गठबंधन के सांसदों ने बहस के दौरान राज्यसभा से वॉकआउट किया। मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसका नेतृत्व किया। उन्होंने वॉकआउट से पहले अपने भाषण में बजट की खामियां गिनाईं। इस दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन से उनकी हल्की-फुल्की नोकझोंक भी हुई, जिसमें राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ भी शामिल हो गए। लेकिन इसके बाद जब खड़गे ने सरकार की नाकामियां गिनानी शुरू कीं, तो धनखड़ ने उन्हें बैठने का निर्देश दिया जिस पर काफी विरोध हुआ और फिर विपक्षी दलों ने राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया।

4 मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार किया
बजट पर जहां संसद में नाराज़गी व्यक्त की गई, वहीं राज्यों में भी इस पर नाराज़गी पाई जा रही है। इस संबंध में 4 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का ऐलान किया। इनमें हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु शामिल हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने तो मंगलवार शाम ही प्रेस कांफ्रेंस करके बहिष्कार का ऐलान कर दिया था।

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