मुस्लिम वोट बंटने के डर से सपा और बसपा ने ओवैसी से बनाई दूरी

मुस्लिम वोट बंटने के डर से सपा और बसपा ने ओवैसी से बनाई दूरी

आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी दोनों ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन से दूरी बना ली है, बात दरअसल यह है कि दोनों ही पार्टियां उत्तर प्रदेश में अपने मुस्लिम वोट बैंक में किसी और को साझेदार नहीं बनाना चाहती हैं।

यही कारण है कि बंगाल विधानसभा चुनाव की तरह उत्तर प्रदेश में भी ओवैसी क्षेत्र की बड़ी पार्टियों से गठबंधन नहीं कर सके, बिहार में गठबंधन के बाद बसपा ने ओवैसी से सार्वजनिक दूरी बना ली है और सपा ने भी ओवैसी की पार्टी से गठबंधन करने से इंकार कर दिया है।

ध्यानपूर्वक बात है कि उत्तर प्रदेश में अभी तक मुस्लिम वोट सपा और बसपा के बीच बंटता चला आया है, साथ ही प्रदेश में भाजपा को टक्कर देने के लिए दोनों पार्टियां मुस्लिमों के लिए अपना प्रेम प्रदर्शन करने से दूर भाग रहे हैं, दोनों ही पार्टियां ऐसा सोच रही हैं कि ओवैसी के साथ गठबंधन से जहां बहुसंख्यक वोटों का नुक़सान होगा वहीं ओवैसी कुछ सीट जीतकर मुस्लिम वोट बैंक में साझेदार बन जाएंगे।

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के फ़ैसले के बाद ओवैसी ने सोहेल देव पार्टी और संकल्प मोर्चा जैसे छोटे राजनीति दलों के साथ हिस्सेदारी कर के मैदान में उतरने का प्लान तैयार किया है, अभी बंगाल चुनाव में भी तृणमूल पार्टी, कांग्रेस और वाम दलों ने ओवैसी की पार्टी से दूरी बनाई थी, हालांकि बिहार में ओवैसी, बसपा और रालोसपा के साथ चुनावी मैदान में उतरे थे।

जानकारी के लिए बता दें कि प्रदेशों में ओवैसी दूसरी राजनीतिक पार्टियों के बिना बेअसर साबित हुए हैं, बिहार में उन्हें बसपा और रालोसपा के साथ का लाभ मिला और उनकी पार्टी ने 5 सीटों पर जीत भी हासिल की थी, इसी तरह महाराष्ट्र में प्रकाश अंबेडकर के साथ गठबंधन कर के महाराष्ट्र विधानसभा में उनका खाता खुला था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Hot Topics

Related Articles