हाथरस हादसे पर एसआईटी की रिपोर्ट राजनीति से प्रेरित: मायावती
लखनऊ: हाथरस हादसे की एसआईटी रिपोर्ट आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, कोतवाली प्रभारी निरीक्षक और चौकी इंचार्ज को निलंबित कर दिया है। हालांकि भोले बाबा को मुल्ज़िम नहीं बनाया गया है और न ही उनके नाम एफआईआर दर्ज की गई है।
एसआईटी की रिपोर्ट घटना की गंभीरता के हिसाब से नहीं
इसी बीच उत्तर प्रदेश कि पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने हाथरस हादसे पर जारी एसआईटी की रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि रिपोर्ट घटना की गंभीरता के हिसाब से नहीं, बल्कि राजनीति से प्रेरित ज्यादा लगती है। उन्होंने योगी सरकार को घेरते हुए कहा है कि ऐक्शन लेने की बजाय आखिर क्लीनचिट क्यों दिया जा रहा है।
महिलाओं और बच्चों की दर्दनाक मौत सरकारी लापरवाही का जीता-जागता प्रमाण
पूर्व सीएम मायावती ने बुधवार को एक्स अकाउंट पर पोस्ट किया, “उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में सत्संग भगदड़ कांड में हुई 121 निर्दोष महिलाओं और बच्चों आदि की दर्दनाक मौत सरकारी लापरवाही का जीता-जागता प्रमाण है। उन्होंने रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए कहा, “किन्तु एसआईटी की ओर से सरकार को पेश रिपोर्ट घटना की गंभीरता के हिसाब से नहीं होकर राजनीति से प्रेरित ज्यादा लगती है, यह अति-दुखद है।
मायावती ने एक और पोस्ट में कहा, “इस अति-जानलेवा घटना के मुख्य आयोजक भोले बाबा की भूमिका के संबंध में एसआईटी की खामोशी भी लोगों में चिंताओं का कारण है। साथ ही, उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के बजाय उसे क्लीनचिट देने का प्रयास खासा चर्चा का विषय है। सरकार जरूर ध्यान दे ताकि ऐसी घटना दोहराई न जाएं।
ज्ञात हो कि हाथरस के सिकंदराराऊ में 2 जुलाई को सत्संग के दौरान घटित दुर्घटना के तत्काल बाद गठित एडीजी जोन आगरा और मंडलायुक्त अलीगढ़ की एसआईटी ने जांच के लिए 2, 3 और 5 जुलाई को घटनास्थल का निरीक्षण किया और कुल 125 लोगों का बयान लिया गया, जिसमें प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों के साथ आम जनता के बयान भी शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, जांच समिति ने कार्यक्रम आयोजक और तहसील स्तरीय पुलिस व प्रशासन को भी दोषी पाया है। स्थानीय एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज अपने दायित्व का निर्वहन करने में लापरवाही के जिम्मेदार हैं। बताया गया है कि उप जिला मजिस्ट्रेट सिकंदराराऊ ने बिना कार्यक्रम स्थल का मुआयना किये ही आयोजन की अनुमति दी और वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत भी नहीं कराया।