पाकिस्तान और चीन की चाल, सेना मुक्त नहीं हो पाएगा सियाचिन

पाकिस्तान और चीन की चाल, सेना मुक्त नहीं हो पाएगा सियाचिन भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने सियाचिन को सेना मुक्त बनाए जाने को लेकर उल्लेखनीय बातें कही थी।

पाकिस्तान और चीन की एक चाल भारतीय सेना प्रमुख के इस बयान एवं सियाचिन को सेना मुक्त किए जाने की योजना को नाकाम बना रही है । चीन और पाकिस्तान की सड़क योजना के कारण सियाचिन को सेना मुक्त बनाए जाने की योजना सिर्फ हवा हवाई ही रहेगी ।

भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने अपनी वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन संग जारी विवाद से लेकर पूर्वोत्तर तक, हर मुद्दे पर जानकारी साझा की थी । 12 जनवरी को अपनी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जनरल नरवणे ने सियाचिन को लेकर जो बयान दिया था उसकी हर ओर चर्चा हो रही है। जनरल नरवणे ने सियाचिन ग्लेशियर से संबंधित सवाल के जवाब में कहा था कि भारतीय सेना इस क्षेत्र को सेना मुक्त किए जाने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन एक शर्त है। हमारी शर्त है कि एनजे 9842 के उत्तर में 110 किलोमीटर की वास्तविक सीमा रेखा को स्वीकार किया जाए।

भारतीय सेना प्रमुख ने कहा कि पाकिस्तान को हमारी और अपनी स्थिति को स्वीकार करना होगा। उसे मानना होगा कि उसकी स्थिति क्या है और हमारी क्या है। इस क्षेत्र से सेना की किसी भी तरह की वापसी से पहले दोनों देशों को उस रेखा पर हस्ताक्षर करने होंगे। इस समय एजीपीएल साल्टोरो पहाड़ियों के साथ लगी हुई है जो सियाचिन के पश्चिम में स्थित है यहां भारतीय सेना सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ऊंचाई वाले स्थानों पर तैनात है।

सियाचिन को सेना मुक्त बनाए जाने को लेकर 13 बार वार्ता हो चुकी है। जून 2012 में सियाचिन को सेना मुक्त किए जाने पर अंतिम बार रावलपिंडी में बातचीत हुई थी। राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों के लिए चीन और पाकिस्तान के कारण यह मामला और अधिक जटिल हो गया है। पाकिस्तान और चीन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद को चीन के शिनजियांग के यारकंद से जोड़ने के लिए सड़क परियोजना पर चर्चा कर रहे हैं।

शक्सगाम घाटी के रास्ते इन स्थानों को जोड़ा जाएगा यह पूरा क्षेत्र 5193 वर्ग किलोमीटर का है जिससे पाकिस्तान ने 1963 में चीन को सौंप दिया था। सेना प्रमुख को भी प्रस्तावित मुजफ्फराबाद-शक्सगाम-यारकंद घाटी सड़क की जानकारी है। जो ना केवल चीन पाकिस्तान को फायदा पहुंचाएगी, बल्कि उत्तर में भारतीय सेना के लिए दोनों मोर्चों पर खतरा भी पैदा करेगी।

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