भाजपा का दामन थामेंगे शिवपाल, राजनीतिक अटकलों का बाजार गर्म
सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। विधानसभा चुनाव के समय एकजुट हुए अखिलेश यादव और शिवपाल यादव एक बार फिर एक दूसरे से अलग जाते हुए नजर आ रहे हैं।
चाचा भतीजे की जोड़ी के टूटने की अटकलों पर मोहर लगाते हुए शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से उनके निवास स्थान पर मुलाकात की। शिवपाल यादव और आदित्यनाथ के बीच हुई मुलाकात इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि शिवपाल यादव को सपा विधायक दल की बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था।
सपा विधायक दल की बैठक से अलग अखिलेश यादव ने अपने गठबंधन सहयोगियों ओमप्रकाश राजभर,पल्लवी पटेल, राजपाल बालियान के साथ 29 मार्च को सपा कार्यालय में हुई बैठक के लिए शिवपाल यादव को आमंत्रित किया था, जिसमें शिवपाल ने भाग नहीं लिया था। हालांकि शिवपाल यादव की और से मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के साथ हुई बैठक को शिष्टाचार मुलाकात का नाम दिया गया है लेकिन उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में इस मुलाकात के निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।
राजनीतिक हलकों में अटकलें तेज हो चली है कि शिवपाल भाजपा में शामिल हो सकते हैं। विधानसभा चुनाव से कुछ पहले ही मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव भाजपा में शामिल हो चुकी हैं वहीँ मुलायम सिंह यादव के कहने पर शिवपाल सिंह यादव अतीत में हुई सारी बातें भूल कर अखिलेश यादव के साथ आ गए थे। लेकिन एक बार फिर अखिलेश यादव के बर्ताव से आहत शिवपाल यादव अपना अलग रास्ता चुन सकते हैं।
इस बारे में अभी कुछ स्पष्ट रूप से तो नहीं कहा जा सकता कि शिवपाल यादव भाजपा की सदस्यता लेंगे या नहीं, या फिर अपनी पार्टी को एनडीए का हिस्सा बनाएंगे लेकिन इस बात की संभावना जताई जा रही है कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं और उन्हें भाजपा की ओर से राज्यसभा भेजा जा सकता है। भाजपा की ओर से राज्यसभा भेजे जाने की अवस्था में जसवंतनगर विधानसभा सीट खाली हो जाएगी जहां शिवपाल यादव अपने बेटे आदित्य यादव की राजनीतिक पारी शुरू करा सकते हैं और वह भाजपा के टिकट पर यहां से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं।
एक चर्चा यह भी है कि अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद खाली हुई आजमगढ़ लोक सभा सीट पर भाजपा शिवपाल यादव को उम्मीदवार बना सकती है।