ईडी की कार्रवाई पर भड़की शिवसेना, सिर्फ महाराष्ट्र में ही है इनकम और टैक्स
केंद्रीय जांच एजेंसियों की ओर से एक के बाद एक महाराष्ट्र में ताबड़तोड़ कार्यवाही जारी है।
ईडी ने महाराष्ट्र के कद्दावर नेता नवाब मलिक के बाद शिवसेना के उप नेता और स्थाई समिति के अध्यक्ष यशवंत जाधव के घर पर आज लगातार तीसरे दिन छापेमारी की है। ईडी की कार्यवाही पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने एक बार फिर बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है।
भाजपा पर निशाना साधते हुए संजय राउत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सिर्फ महाराष्ट्र में ही इनकम है और टैक्स भी यहीं चुकाया जाता है, बीजेपी शासित राज्यों में ना तो इनकम है और ना ही टैक्स।
शिव सेना नेता संजय राउत ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि मुंबई में महानगर पालिका चुनाव करीब हैं इसलिए केंद्रीय जांच एजेंसियों को महाराष्ट्र में ही काम मिला हुआ है। जो ढूंढना है उन्हें ढूंढने दो, जनता देख रही है। ढूंढते रह जाओगे, महाराष्ट्र देख रहा है, देश देख रहा है। सबसे ज्यादा टैक्स महाराष्ट्र देता है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के लोगों को परेशान करने का काम है जारी है। हम यह सब झेल लेंगे लेकिन महाराष्ट्र को झुकने नहीं देंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से अपने कार्यक्रम मन की बात में महाराष्ट्र की जनता को मराठी दिवस की शुभकामनाएं देने पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय राउत ने कहा कि यह केंद्र सरकार के दोगले चरित्र को दर्शाता है। मराठी हितों की बात करते हैं और मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा नहीं देते। मराठी में दुकानों के नाम लिखे जाने का विरोध करते हैं और बात मराठी हितों की कर रहे हैं। यह केंद्र सरकार का दोहरा रवैया है।
उत्तर प्रदेश चुनाव पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय राउत ने कहा कि प्रदेश की जनता बदलाव के पक्ष में है। उत्तर प्रदेश का माहौल अखिलेश यादव के अनुकूल है। वहां बदलाव की बयार बह रही है। अबकी बार अखिलेश यादव आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम उत्तर प्रदेश से होकर आए हैं, उत्तर प्रदेश में बदलाव हो रहा है। आदित्य ठाकरे भी प्रचार के लिए गए थे,लोगों ने सत्ता बदलने का मन बना लिया है, माहौल अखिलेश यादव के पक्ष में हैं। वहां बदलाव होकर रहेगा और अखिलेश सत्ता में आ रहे हैं।
उन्होंने भाजपा पर दोगले रवैये अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मराठी दिवस की शुभकामनाएं दे रहे हैं लेकिन भाजपा दुकानदारों को दुकानों के नाम के बोर्ड मराठी में लिखे जाने के सरकार के आदेश का विरोध कर रही है। उनका रवैया हमेशा से ही उनका दोहरा चरित्र उजागर करता रहा है। वह मराठी लोगों को आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं। मराठी लोगों के पास पैसे ना रहे इसलिए कानूनी कार्यवाही का सहारा लेते हैं और फिर मराठी कट्टा जैसे कार्यक्रम का ढोंग रचते हुए मराठी हितों की बात करते हैं।